भले ही केंद्र सरकार ने शादी वाले घरों में ढाई लाख रुपये अपने खाते से निकालने के आदेश जारी कर दिए हों, लेकिन बैंकों में स्थिति लाख कोशिशों के बाद भी बदल नहीं पा रही है. जिनके घर 30 नवम्बर को ही शादी थी, उनको भी चार हज़ार रुपये देकर टरकाने का प्रयास किया जाता रहा. कहा जा रहा था कि बैंकों के पास करेंसी नहीं है.
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नोट बंदी के दो हफ़्तों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी ग्रामीण अंचलों के बैंकों द्वारा भुगतान न किये जाने से लोगों की समस्यायें कम होने का नाम नहीं ले रही है. ग्रामीण अंचलों के बैंकों पर दलालों का कब्जा है, ग्राहक प्रतिदिन बैकों का परिक्रमा कर निराश होकर बैंक कर्मियों को खरी खोटी सुनाकर लौट जा रहे है. जबकि सरकार लोगों की समस्याओं के दूर करने के लिए रोज कोई न कोई नया आदेश पारित कर रही है.
नोटबन्दी के बाद लोगों को परेशानी से बचाने के लिए सरकार ने कई तरह की घोषणाएं की, लेकिन सुखपुरा स्थित पूर्वांचल बैंक में कर्मचारी अपनी मनमर्जी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. ग्राहकों को नोट देना तो दूर निकासी फॉर्म तक नहीं मिल पा रहा है. रवींद्र सिंह ने बताया कि सोमवार को जब वे बैंक पहुंचे तो निकासी फॉर्म लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी,
केंद्र सरकार द्वारा 500 एवं 1000 के नोट बन्द किए जाने के बाद अभी भी आम जन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जहां क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक अखार एवं इलाहाबाद बैंक ब्यासी में जमा, निकासी एवं नोट बदलवाने वाले लोगों की भीड़ कम दिखी, वहीं दुबहड़ स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में वरिष्ठ नागरिकों एवं शादी विवाह वालों और किसानों के साथ साथ आम खाता धारकों की भीड़ बहुत अधिक थी.
बीते कई दिनों की तरह नोट बदलने के लिए लोग सुबह से ही लाइन में लग गए थे. लोगों को घंटों लाइन में लगने के बाद भी पैसा नहीं मिल रहा है. बांसडीह क्षेत्र अंतर्गत स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, पूर्वांचल बैंक व डाकघर है. बुधवार को देर शाम आक्रोशित लोगों ने बैंक का शीशे का दरवाजा तोड़ दिए. इसके बाद बैंक प्रबंधक एसके राय ने टोकन से पैसे जमा व निकासी की व्यवस्था की.
बैंकों में एक दिन की छुट्टी के बाद मंगलवार को एक बार फिर पैसा जमा करने पैसा निकालने एवम पैसा बदलने के लिये बैंकों पर देर शाम तक ग्राहकों की भीड़ उमड़ी रही. बैंकों में देर शाम तक लंबी लाइन लगाने के बाद भी पैसा न मिलने से निराश लोग सरकार को खरी खोटी सुनाते हुए अपने घर गए. कुछ बैंकों ने पैसा देना शुरू भी किया तो कुछ ही देर में पैसा की कमी बताकर कर हाथ खड़े कर दिए.
बड़े नोटों के बंदी की घोषणा के तीसरे दिन भी बैंकों व बाजारों में अफरा तफरी का माहौल रहा. लोग नोट बदलने, बैंक से पैसा निकालने ,सामान खरीदने के लिए परेशान रहे. कतार में लगकर नोट बदलने में होने वाली देरी के कारण लोगों को काफी कष्ट सहना पड़ा. जबकि 500 व 1000 का नोट लेने से दुकानदारों द्वारा मना कर देने से लोग आवश्यकता के सामानों की खरीदारी किए बगैर सरकार के निर्णय को कोसते वापस अपने घर को चले गए.