
बलिया: देशाटन शिक्षा का एक अभिन्न अंग है, यों तो ज्ञान की प्राप्ति के साधन पुस्तकें हैं, लेकिन देशाटन से जितना अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त होता है उतना पुस्तकों से नहीं होता है.
पुस्तकों से तो केवल ज्ञान प्राप्त होता है. इससे अनुभव प्राप्त नहीं होता है. देशाटन से तो ज्ञान के साथ अनुभव और दर्शन भी आसानी से हो जाता है. लिहाजा देशाटन ज्ञान प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन और आधार है.
इसी उद्देश्य की पूर्ति कर शनिवार को जयपुरिया स्कूल बलिया के बच्चे अपनी 6 दिवसीय कोलकाता यात्रा पूरी कर जनपद लौटे. अपनी इस यात्रा के दौरान बच्चों ने बंगाली रहन सहन, पोशाक, भोजन, भाषा इत्यादि का गहन अध्ययन किया.
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पहले दिन बच्चों ने बोटैनिकल गार्डन में वनस्पति विज्ञानं से जुड़ी कई बारीकियों का अध्ययन किया. बोटैनिकल गार्डन कोलकाता में स्थित विशाल कमल पुष्प मुख्य आकर्षण केंद्र रहा.
मदर हाउस में रखी मदर टेरेसा से जुड़ी कहानियों और सामग्रियों ने बच्चों के मन में मानवता और दया भाव की तरंगें भर दी.
दूसरे दिन बच्चों ने प्राणी उद्यान और विज्ञानं शहर में बिताया. एक तरफ जहां उन्होंने प्राणी उद्यान में तमाम वन्य जीवों से सम्बंधित जानकारियां इकट्ठी की, वही शहर में बच्चों ने मनुष्य के विकास और अंतरिक्ष के सम्बंधित लघु चलचित्र का लुफ्त उठाया. बच्चों के लिए रोप वे की सवारी रोमांचक और मनोरंजक रही.

इसी प्रकार बच्चों ने स्वामी विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर और श्री रामकृष्ण परमहंस जैसी विभूतियों से सम्बंधित ऐतिहासिक स्थलों का अध्ययन किया. ईडन गार्डन, विक्टोरिया मेमोरियल, बिरला प्लैनेटोरियम, संग्रहालय, वाचनालय और लोकल बाजार जैसे तमाम ऐतिहासिक और आवश्यक स्थलों का अवलोकन बच्चों के लिए नववर्ष पर एक यादगार तोहफे से काम नहीं था.
यात्रा में जयपुरिया के निदेशक नवीन राय, प्रधानाध्यापिका अंजलि धर, हेड मास्टर अनिर्बान साहा, दीक्षा श्रीवास्तव एवं प्रियंका तिवारी बच्चों के साथ मौजूद रहे.