-लक्ष्य न ओझल होने पाए, सफलता तेरी कदम चूमेगी आज नहीं तो कल-सृष्टि
दुबहर, बलिया. संघ लोक सेवा आयोग में चयनित होने के बाद गृह जनपद बलिया के पैतृक गांव शिवपुर दीयर नई बस्ती में बुधवार को सृष्टि सिंह का भव्य स्वागत हुआ.
समारोह में भाग लेने के बाद सृष्टि 11 बजे रात को अपने आवास पर पहुंची. पिता प्रमोद सिंह और चाचा बबलू सिंह के साथ जैसे ही वह अपने घर पर पहुंची, वहां मौजूद पड़ोसी और रिश्तेदार सभी उनका इंतजार कर रहे थे.
इसी क्रम में बलिया लाइव के रेजिडेंट एडिटर केके पाठक को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के कुछ अंश आप भी पढ़ें.
बलिया लाइव: सृष्टि जी! आपको कड़ी मेहनत और लंबे इंतजार के बाद जो यह सफलता प्राप्त हुई है, आप इस दिशा में प्रयासरत युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
सृष्टि सिंह : युवाओं को अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होना चाहिए. आप अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर मेहनत करें , सफलता एक दिन आपके कदम अवश्य चूमेगी. यही स्थिति मेरी भी रही. संघ लोक सेवा आयोग की पांच परीक्षाओं के देने के बाद भी मैं मन से कभी निराश नहीं हुई और छठवीं बार पूरे उत्साह के साथ परीक्षा में शामिल हुई और सभी के आशीर्वाद से मुझे सफलता मिल. मैं इस सफलता का श्रेय अपनी माता, पिता प्रमोद सिंह, चाचा बबलू सिंह और बड़ी बहन श्रुति सिंह को देना चाहूंगी जिन्होंने बराबर मुझे उत्साहित किया.
बलिया लाइव: आपने परीक्षा में किस वैकल्पिक विषय का चयन किया?
सृष्टि सिंह : कई विषयों के संबंध में मेरा मन दौड़ता रहा परंतु अंत में मैंने दर्शनशास्त्र का चयन किया और मुझे इसमें सफलता प्राप्त हुई है.
बलिया लाइव: दर्शन शास्त्र में दार्शनिकों के विचार मिलते – जुलते रहते हैं फिर आपको इसकी पढ़ाई करने में कठिनाई नहीं हुई?
सृष्टि सिंह : दर्शनशास्र में ऊपर -ऊपर पढ़ाई करने पर लगता है कि सभी दार्शनिकों के विचार एक जैसे हैं, लेकिन गहराई से अध्ययन करने पर उनके विचार भिन्न होते हैं. और संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में गहराई से ही अध्ययन का परीक्षण किया जाता है. इसमें गहराई से ही सवाल किए जाते हैं और उनके उत्तर संतोषजनक होने चाहिए. ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ. मैं चाहूंगी कि इस प्रकार की परीक्षा की तैयारी करने में लगे हुए युवा कड़ी मेहनत करें और अपने विषय पर कमांड करें. उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी.
सृष्टि के पिता प्रमोद सिंह ने बताया कि मेरी दोनों बेटियां ही मेरे बेटे हैं और इन्हें मैंने भरपूर स्नेह दिया है बताया कि मैं जब किसी को प्रणाम करता था तो आशीर्वाद स्वरुप जब लोग यह कहते थे बस आपको एक बेटे की ही कमी है भगवान इस कमी को भी पूरा करें तो मैं कहता था कि मेरी दोनों बेटियां ही दो बेटे हैं और यही मेरा नाम रोशन करेंगी. श्रुति एवं सृष्टि ने ऐसा ही कर दिखाया है.
(बलिया लाइव के रेजिडेंट एडिटर केके पाठक की विशेष रिपोर्ट)