मर्यादा का उल्लंघन करने वाले का जीवन होता है नष्ट : दीपू भाई

  • दुबहर गांव में शिव मंदिर पर श्री हवनात्मक रुद्र महायज्ञ जारी

 

दुबहर: दुबहर गांव में शिव मंदिर पर चल रहे श्री हवनात्मक रुद्र महायज्ञ में प्रसिद्ध कथावाचक दीपू भाई ने कहा कि जीवन में मर्यादाओं का पालन बहुत आवश्यक है. जो लोग मर्यादाओं का उल्लंघन करते उनका जीवन नष्ट हो जाता है.

उन्होंने मर्यादा के संबंध में रामचंद्रजी की जीवन चरित्र को बताया. उन्होंने कहा कि मर्यादा की बदौलत रामचंद्र जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया. उन्होंने समाज के सभी लोगों के साथ रिश्ते के अनुसार मर्यादाओं का पालन किया जो युगों तक रहेंगे.

कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनायी. उन्होंने बताया कि आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे. उनके आततायी पुत्र कंस ने उन्हें गद्दी से उतार कारागार में डाल दिया. स्वयं मथुरा का राजा बन बैठा.

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कंस की एक बहन देवकी थी, जिसका विवाह वसुदेव नामक यदुवंशी के साथ हुआ था. एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था.

रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है. इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा.’ यह सुनकर कंस वासुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ.

देवकी ने कंस के आगे हाथ जोड़कर बोली इन्हें आप छोड़ दीजिये, तत्पश्चात वसुदेव ने हाथ जोड़कर कहा-हे राजन, आपको देवकी के आठवें पुत्र से न काल है. मैं आपको वचन देता हूं कि आठवां पुत्र आपको सौंप दूंगा.

 

कंस उस पर भी नहीं माना और वहीं से रथ मोड़ लिया और देवकी और वासुदेव को कड़े पहरे में कारागार में डाल दिया. देवकी के एक के बाद एक सात पुत्रों का जन्म हुआ और कंस सातों को मारता गया.

जब आठवें पुत्र का जन्म हुआ तो कारागार में भव्य उजाला हो गया और सारे प्रहरी सो गए. अपने आप जेल का ताला व देवकी और वसुदेव की हथकड़ियां खुल गई. तभी आकाशवाणी हुई- हे राजन आप जमुना पार गोकुल में नंद के घर बालक को पहुंचा दीजिए और वहां से कन्या को उठा लाइए.

 

 

तब वसुदेव जी ने नंद के घर कृष्ण को पहुंचा दिया और वहां से कन्या उठा कर लाये. जब कंस आया तो वसुदेव ने कहा कि कन्या हुई है.

इस तरह कृष्ण का जन्म हुआ और वही कृष्ण बाद में कंस का वध किए. इस मौके पर अशोक सिंह, मिंटू सिंह, विजय सिंह, पिंटू सिंह, बीटू लाल सहित अनेक लोग उपस्थित थे.

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