- धन – जन, पद और यश का इस्तेमाल विवेक से होना चाहिए
- बलिया के अखार गांव में चल रही जीयर स्वामी की भागवत कथा
दुबहर : अखार गांव में हो रहे ज्ञानयज्ञ महोत्सव में भारत के प्रसिद्ध सन्त त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि अगर किसी मानव को यश, कीर्ति, पद, प्रतिष्ठा, धन – जन, बल – वैभव प्राप्त हो जाए तो उसका उपयोग बुद्धि – विवेक से होना चाहिए अन्यथा यही अनर्थ का कारण बन जाता है.
जीयर स्वामी ने कहा कि इसका प्रमाण रावण और पांडव हैं. उनके पास सब कुछ था लेकिन एक दिन पांडव जुआ खेलने बैठे और अपना सब हार गए. इस कारण उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी.
उन्होंने कहा कि मानव का विवेक पांच कारणों से नष्ट होता है. मानव को शराब, वेश्यावृत्ति, जुआ, हिंसा और बेईमानी से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कथा में भगवान श्रीकृष्ण के परिवार की कथा पर विस्तार से प्रकाश डाला.
स्वामी जी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परिवार को संदेश देने के लिए सुधर्मा नामक सभा का आयोजन किया और अपने परिवार वालों को उचित-अनुचित विषयों के बारे में विस्तार से समझाया.
उन्होंने कहा कि परिवार को संरक्षण और निरीक्षण में रखना चाहिए. तभी परिवार संस्कारी और लोक कल्याणकारी होता है. कहा कि प्रत्येक परिस्थिति में धर्म का पालन होते रहना चाहिए. यह कल्याण का मार्ग है. इसके बाद शाम 6 बजे कथा के विश्राम के बाद भगवान की आरती के साथ श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण किया गया.
इस मौके पर संत श्रीधर चौबे, कमलेश सिंह, सुनील सिंह, विमल पाठक, कमलेश पांडेय, ओमजी सिंह, सुनील मिश्रा, ध्रुव सिंह, शशिकांत सिंह, अरुण सिंह, पिंटू सिंह, जय कुमार सिंह, राधेश्याम दूबे, अशोक सिंह मौजूद थे.
साथ ही, रागिनी सिंह, पशुपतिनाथ दुबे, कौशल सिंह, सुजीत सिंह, सनी सिंह, दीपक सिंह, हैप्पी तिवारी, भगवान मिश्र, अक्षयवर पांडेय, कैलाश गिरी, जनार्दन चौबे, राजेश यादव, बिट्टू, गोलू, आकाश, नीरज आदि भी उपस्थित थे.