दुबहड़(बलिया)। आचरण, संस्कार और परंपरा व्यक्ति के उत्थान में महत्वपूर्ण स्थान रखते है. इसी के सहारे लोग ऊंचाई को प्राप्त करते हैं, नहीं तो ऊंचाई से जमीन पर आ जाते है. उक्त बातें शनिवार के दिन दादा के छपरा में हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान मुख्य संत रामभद्र करपात्री जी महाराज बालक बाबा ने भागवत कथा के दौरान कही.
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जिस व्यक्ति के संस्कार ऊँचे होते हैं, आचरण अच्छा रहता है, दुनिया उसके पीछे चलती है. कहा कि भारत में प्राचीन काल से समाज को बनाने के लिए तथा चलाने के लिए जो परंपराएं बनी हुई हैं, उससे समाज की समरसता एकता अखंडता हमेशा कायम रहती है. हमारी परंपरा है कि हम अपने से बड़ों का आदर करें, माता पिता की सेवा करें, गुरु की आज्ञा माने, बच्चों को प्यार करें, इन्ही परंपराओं पर हमारा समाज टिका हुआ है. आज जरूरत है ऐसी परंपराओं को बल देने की. उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता को सभी ग्रंथों से उत्कृष्ठ बताते हुए उसके अध्ययन की सलाह भक्तों को दी. इस मौके पर यज्ञाचार्य पंकज जी, ऋषि जी, गोपी जी, लक्ष्मी नारायण जी, अश्वनी कुमार उपाध्याय, गोगा पाठक, अख्तर अली, भोला, छोटेलाल, दीपक, राजा, छोटू प्रभुनारायण पाठक, अशोक पाठक, महंत राय, सर्वानन्द पाठक जे पी तिवारी आदि लोग रहे.