पत्रकार मर्डर केस : रतन सिंह के पिता ने पुलिस की ‘थ्योरी’ को खारिज किया

बलिया। फेफना में पत्रकार रतन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. सोमवार देर शाम हुई इस घटना से जिले में हड़कंप मच गया. पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले तीन आरोपियों को हिरासत में लिया है. डीआईजी आजमगढ़ सुभाष चंद्र दुबे ने कहा कि रतन सिंह एक पत्रकार थे, लेकिन इस घटना का पत्रकारिता से कोई संबंध नहीं है. यह पूरी तरह से दो पक्षों के बीच भूमि विवाद का मामला है.

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एसपी देवेंद्रनाथ ने बताया कि झगड़े के दौरान पट्टीदारों ने पत्रकार रतन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी है. पुलिस कार्रवाई में जुटी हुई है. रतन सिंह की हत्या के बाद पत्रकार इंसाफ के लिए परिवारवालों के साथ धरने पर बैठ गए. यह धरना एनएच 31 पर किया गया. परिवारवालों ने मांग की कि फेफना के थानाध्यक्ष को सस्पेंड किया जाए. इस दौरान फेफना थानाध्यक्ष शशिमौली पांडेय को एसपी देवेंद्र नाथ ने निलंबित कर दिया है. राजीव मिश्र को प्रभार सौंप दिया गया है.

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डीआईजी आजमगढ़ सुभाष चंद्र दुबे ने कहा है कि पुलिस ने मौके से तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पत्रकार रतन सिंह के घरवालों का कहना है कि उन्हें (रतन सिंह) गांव के प्रधान के घर पर बुला कर ले जाया गया और गोली मारी दी गई. वहीं, एसपी देवेंद्र नाथ ने कहा कि ग्राम प्रधान के दरवाजे पर रतन सिंह को गोली मारी गई. बताया जाता है कि दिसंबर में पुआल रखने को लेकर विवाद हुआ था. इनके पट्टीदारों में मारपीट हुई थी. अरविंद सिंह और दिनेश सिंह इनके पट्टीदार हैं, जिनमें झगड़ा हुआ था. उस समय केस दर्ज हुआ था और कार्रवाई की गई थी.

दो भाइयों में छोटे रतन के बड़े भाई भोला सिंह की दो साल पहले मौत हो गई थी. उस समय भी मारपीट हुई थी. हालांकि तब उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी. रतन के तीन बच्चे हैं. उनकी पत्नी प्रियंका का रो-रो कर बुरा हाल है. इसके अलावा बड़े भाई भोला सिंह की पत्नी व उनके दो बच्चों के साथ ही माता-पिता की जिम्मेदारी भी रतन पर ही थी.

आपको बता दें कि सोमवार देर शाम एक निजी चैनल के पत्रकार रतन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. बलिया के फेफना थाने से करीब 500 मीटर की दूरी पर कुछ बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया. रतन सिंह ने हमलावरों से बचने के लिए भागने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने रतन को दौड़ाकर गोली मार दी और भाग निकले. सूचना पाकर मौके पर तुरंत एसपी देवेन्द्र नाथ, एएसपी संजय कुमार, सीओ आदि के साथ भारी संख्या में पुलिस बल पहुंच गया था.

मंगलवार की सुबह मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल जिला अस्पताल पहुंचे तो पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया. मुख्यमंत्री की ओर से दस लाख की सहायता राशि को नाकाफी बताते हुए 50 लाख देने और पत्नी को नौकरी की मांग की. मंत्री ने मांग को जायज बताते हुए भरोसा दिया कि इस सम्बंध में मुख्यमंत्री से बात कर हरसम्भव मदद दिलाएंगे. मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि घटना के समय फेफना के एसओ रहे इंस्पेक्टर के साथ ही पुलिस के भूमिका की जांच भी की जाएगी. एक पत्रकार की निर्मम हत्या हुई है. सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है. मेरी रात में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात हुई थी.

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