गुरु की कृपा सबसे बड़े पुण्य का परिणाम-वासुदेवाचार्य, विद्या भास्कर जी महाराज

दुबहर, बलिया. गुरु की कृपा सर्वोपरि होती है. गुरु की कृपा नि:स्वार्थ कृपा होती है, गुरु से शिष्य को जो ज्ञान प्राप्त होता है वही कल्याणकारी ज्ञान होता है. गुरु की कृपा सबसे बड़े पुण्य का परिणाम है.

 

उक्त बातें क्षेत्र के नगवा गांव में पंडित जय गणेश चौबे जय कांताचार्य जी के दरवाजे पर देर शाम उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए जगतगुरु वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज ने कही. उन्होंने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में भगवान से साक्षात्कार का मार्ग गुरु ही दिखाते है. प्राचीन काल से ही सनातन धर्म में गुरु को ज्ञान दाता, मोक्ष दाता तथा ईश्वर के समतुल्य महत्वता प्रदान की गई है. वेदों और पुराणों के अनुसार गुरु को ब्रह्मा ,विष्णु, महेश के सामान्य पूज्य माना जाता है.
उन्होंने कहा कि एक वास्तविक गुरु अपने गुरु के पद पर कई जन्मों की साधना के बाद पहुंचता है. और आपको यदि उसका सानिध्य मिल जाता है तो यह आपका भी कर्म फल है. व्यक्ति अपने लिए सामर्थवान गुरु की तलाश करता है. लेकिन आपको उसी स्तर का गुरु मिलेगा जिस स्तर के आप शिष्य हैं. आप यदि वशिष्ठ जैसे गुरु चाहते हैं तो आपको राम जैसा बनना पड़ेगा.

 

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इस मौके पर आनंद मोहन चौबे, त्रिलोकीनाथ पाठक, श्रीधर चौबे, राजनारायण पाठक, चन्द्र भूषण पाठक, ललन तिवारी, मनोज पाठक, गिरधर पाठक ,लालू पाठक ,जगेश्वर प्रशाद , अंजनी पाठक, कल्लू पाठक ,हरिशंकर पाठक, राघव पाठक, रिपुंजय चौबे, सुमित पाठक, शशी भूषण पाठक, नरोत्तम पाठक, धन जी चौबे. आदि लोग रहे संचालन पंडित जयगणेश चौबे जयकांताचार्य ने किया.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)

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