


माल्देपुर(बलिया): इलाके के नागाजी सरस्वती विद्या मन्दिर और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आचार्य विकास वर्ग एवम् विद्वत गोष्ठी आयोजित किये गये. मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा.एलजे सिंह ने कहा कि शिक्षा समाज के लिए उपयोगी होनी चहिये.

श्रीकृष्ण सुदामा सभागार में “बदलते परिवेश में शिक्षा का स्वरूप्”विषय पर वक्ताओ ने अपने विचार रखे. मैकाले की शिक्षा पद्धति भारतीय संस्कार और संस्कृति के लायक नहीं है. हमे वर्तमान शिक्षा की विकृतियों को दूर करना होगा. गुरुकुल शिक्षा पद्धति और मौजूदा शिक्षा की अच्छाइयों को लेकर पद्धति में परिवर्तन की जरूरत है.


विशिष्ट अतिथि डा.विजय बहादुर सिंह ने कहा कि आचार्य अपने आचरण से शिष्यों को सिखाता है तो गुरु ज्ञान से सिखाता है. प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में गणित, फलित, ज्योतिष, वास्तु, संगीत, युद्ध, राजनीति, समाजशात्र,खगोल सभी प्रकार की शिक्षा का समावेश था. वर्तमान में भी भारतीय गर्न्थो को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिये.
सभा की अध्यक्षता डा. रामकृष्ण उपाध्याय ने की. प्रधानाचार्य अरविन्द सिंह चौहान ने अतिथियों से सबका परिचय कराया . अंत में भृगु जी ने सभी आमंत्रित आचार्यो और अन्य अतिथियों का स्वागत किया. परमेश्वर जी ने आभार जताया.