मदर्स ड़े ,मां के प्रति कृतज्ञ होने का यह त्योहार विश्व के अनेक भागों मे अलग अलग दिन मनाया जाता है .अमेरिका की तरह भारत मे यह मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता हैं जो 2017 में 14 मई को है. मदर्स ड़े को मनाये जाने का इतिहास 400 वर्ष पुर्व का बताया जाता है पर हम यह भूल जाते हैं कि भारत मे नवरात्रि के रूप में देवी मां और नारी शक्ति का पूजन और गायन सनातन काल से ही है. प्रचलित कथा के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर को मारकर देव और मानव समाज को उस समय भय मुक्त किया था जब त्रिदेव भी असहाय हो गये थे .इस अनोखी घटना से हमको यह सहज संदेश मिलता है कि जब संसारिक जीवन मे दुख रूपी दानव सताने लगता है तब मां अपनी दुआओं के त्रिशुल से इस महिषासुर रुपी दानव से संतान की रक्षा करती है . महाभारत काल की एक कथा के अनुसार यक्ष न जब युधिष्ठिर से पूछा कि भूमि से भारी चीज क्या है? तब युधिष्ठिर ने कहा था कि माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं.
श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार माता की सेवा से मिला आशिष, सात जन्मों के कष्टों व पापों को भी दूर करता है और उसकी भावनात्मक शक्ति संतान के लिए सुरक्षा का कवच का काम करती है.श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि ‘माँ’ बच्चे की प्रथम गुरु होती है. चाहे कोई भी देश हो, कोई भी संस्कृति ,कोई भी भाषा हो, ‘माँ’ के प्रति अटूट, अगाध और अपार सम्मान देखने को मिलता है. मां का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता. हमें इस संसार में लाने वाली माता ही होती है.माता के प्रति किसी भी प्रकार से कटु वचन बोलने वाला कभी सुखी नहीं रहता .माता के समान कोई छाया नहीं है, माता के समान कोई सहारा नहीं है. माता के समान कोई रक्षक नहीं है .जननी तेरी जय हो, तेरे बिना संसार की कल्पना नही.