बीते साल बाढ़ में विस्थापित हुए, अब भी बंधे पर ही आसरा


संकीर्तन नगर आश्रम (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र
बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र

एनएच 31 पर दुबे छपरा के आसपास संभावित व कटान के डर से अभी से लोग अपना छान्ही छप्पर डालकर प्रसाद छपरा ढाला से लेकर सुघर छपरा तक अपने लिए जगह आरक्षित करने लगे हैं. जबकि एनएच 31 के ही दक्षिणी किनारे पर गंगा के बाढ़ व कटान से 2016 तथा 2019 में बेघर हुए सैकड़ों लोग गृह अनुदान, भूमि आवंटन व पुनर्वास की आस लिए अभी तक बंधे पर ही शरण लिए हुए हैं. उन लोगों के लिए अभी तक सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई.

बाढ़ और कटान से सबसे ज्यादा नुकसान सितंबर में ही होता है

यहां बाढ़ और कटान से सबसे ज्यादा नुकसान अब तक सितंबर माह में ही हुआ है. ऐसे में प्रसाद छपरा, उदई छपरा, दुबे छपरा, गोपालपुर, केहरपुर आदि गांवों के निचले हिस्से में बसे लोग अभी से झोपड़िया डालना शुरू कर दिए हैं.

बताते चलें कि वर्ष 2016 तथा वर्ष 2019 में गंगा के बाढ़ व कटान से बेघर हुए 374 लोग ऐसे हैं, जिन्हें गृह अनुदान व जमीन आवंटित कर विस्थापन के लिए चिन्हित किया गया था. इसमें से अधिकांश लोग बंधे पर ही झोपड़ियां डालकर आश्रय लिए हुए हैं. कुछ लोग अपने रिश्तेदारों में तो कुछ लोग किराए के मकान में भी रह रहे हैं.

गृह अनुदान 24 घंटे में देने का आदेश था, मगर साल भर बाद भी अधर में

गौरतलब है 16 सितंबर 2019 को लगभग 800 मीटर लंबाई में दुबेछपरा रिंग बंधा गंगा के बाढ़ व कटान में पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. तब यहां भीषण तबाही मची थी. केहरपुर के पानी टंकी, विद्यालय तथा कच्चे-पक्के मकान तथा झोपड़ियां पूरी तरह से जलमग्न हो गई थी. काफी लोगों के घर कटान के भेंट चढ़ गए. तब 17 सितंबर 2019 को दयाछपरा में पहुंचे सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई सर्वे करने के बाद मंच से ही अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि गृह अनुदान 24 घंटे के अंदर दिया जाए, बाढ़ और कटान पीड़ितों को कोई असुविधा न हो इसका ख्याल रखा जाए तथा जिन लोगों का घर कटान में नेस्तनाबूद हो गया उन्हें जगह देख कर जल्द ही पुनर्वास किया जाए. आदेश देकर मुख्यमंत्री चले गए. तात्कालिक तौर पर बेघर हुए लोगों को तथा बाढ़ से घिरे लोगों को भोजन, दवा आदि की व्यवस्था की गई, लेकिन गृह अनुदान तथा विस्थापन की कोई व्यवस्था एक साल बीतने के बाद भी जिला प्रशासन नहीं कर पाया है.

गंगा अगर मचल पड़ी तो हालात विकट हो जाएंगे

अलबत्ता गंगापुर, रामगढ़, दुबेछपरा में कटान रोधी कार्य के लिए धन अवमुक्त हुआ, कार्य भी शुरू हुआ, लेकिन सब कुछ अधूरा अधूरा है. मुश्किल से 20 से 40% ही काम हो पाया है. ऐसे में आगामी सितंबर माह के खतरे को देखते हुए लोग अभी से बंधे पर झोपड़िया लगाना शुरू कर दिए है.
वर्ष 2016 और वर्ष 2019 के कटान से बेघर हुए लोगों की लड़ाई लड़ने वाले इंटक नेता विनोद सिंह का कहना है कि यहां के काम में बड़े पैमाने पर लूट खसोट और भ्रष्टाचार है. यह के ठेकेदार और बाढ विभाग तो एक महीना पहले ही पानी बढ़ने की बात कह कर काम बंद कर दिए और चले गए. गंगा अगर मचल पड़ी जैसा कि सितंबर माह इस इलाके के लिए खतरे भरा होता है तो इस इलाकों का यानी गंगापुर से गोपालपुर तक बड़ी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.

ढीठ नौकरशाह विधायक के प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं किए

जहां तक विस्थापन की बात है और यहां के समस्या समाधान की बात है तो बलिया के नौकरशाह न तो सीएम के निर्देशों का पालन करते हैं और ना ही विधायक के. अगर सीएम के निर्देशों का थोड़ा भी असर यहां के अधिकारियों पर होता तो इस साल करोड़ों रुपये की लागत से होने वाला कटान रोधी कार्य कब का पूरा हो गया होता और लोग निश्चिंत हो गए होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 24 घंटे के अंदर गृह अनुदान देने की बात थी साल बीतने को आया अभी तक कुछ नहीं मिला. जहां तक विस्थापन की बात है तो बैरिया विधायक ने सुझाया था की दया छपरा में जहां मुख्यमंत्री का हेलीपैड बना था, सभा स्थल बना था, वहीं ग्राम समाज की जमीन है, वहीं कटान से बेघर हुए लोगों को बसा दिया जाता. लेकिन ढीठ नौकरशाह विधायक के प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं किए.

फिलहाल 374 बाढ़ विस्थापितों का बंधे पर है डेरा

फिलहाल गोपालपुर ग्राम पंचायत के 103, केहरपुर ग्राम पंचायत के 146 तथा गंगापुर ग्राम पंचायत के 125 कुल 374 कटान से बेघर लोग आज भी गृह अनुदान और विस्थापन की आस में बंधे पर शरण लिए हुए हैं. अगर इस साल भी कुछ वैसी ही स्थिति रही तो बेघर होने वाले लोगों की संख्या और भी बढ़ सकती है. अभी से बाढ़ और कटान के डर से डरे लोग बंधे पर जगह छेकने लगे हैं.

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