
बांसडीह से रविशंकर पांडेय
रविवार 21 जून को सूर्यग्रहण है. सूर्यग्रहण जनपद के पूरे हिस्से में दिखाई देगा. जप, तप, दान, साधना और पूजा पाठ के लिए ग्रहण का विशेष महत्व रहेगा. पं अवनीश कुमार उपाध्याय के अनुसार रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण दो प्रकार का होगा. कंकण सूर्य ग्रहण और आंशिक सूर्य ग्रहण. क्षेत्र के लोकेशन पर निर्भर करेगा कि कैसे सूर्य ग्रहण देख पायेंगे.
कंकण सूर्यग्रहण भारतवर्ष के उत्तरवर्ती इलाकों जैसे राजस्थान, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश और उत्तराखंड इत्यादि स्थानों में दिखाई पड़ेगा. वहीं भारतवर्ष के दक्षिणी क्षेत्र में आंशिक सूर्यग्रहण ही दिखाई पड़ेगा. भारत में वलयाकार सूर्यग्रहण की शुरुआत राजस्थान के पश्चिमी छोर पर स्थित घरसाना नामक स्थान से होगी तथा वलयाकार सूर्यग्रहण की समाप्ति जोशीमठ नामक स्थान पर होगा. इनके मध्य स्थित स्थानों उत्तर प्रदेश के बेहट, बलिया, वाराणसी, गाजीपुर तथा उत्तराखण्ड के देहरादून, चम्बा, टिहरी, अगस्त्यमुनि, चमोली, गोपेश्वर, पीपलकोटी, तपोवन आदि स्थानों से ही वलयाकार सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा.
कब होता है सूर्य ग्रहण?
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जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है. इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं. ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है, लेकिन इस ग्रहण का सूतक भारत में रहेगा, क्योंकि यहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. इस दिन राहु-केतु के अलावा गुरु, शनि, बुध और शुक्र वक्री रहेंगे
आंशिक सूर्यग्रहण अलग-अलग आकर में भारतवर्ष के सभी स्थानों से देखा जा सकेगा. सूर्यग्रहण सुबह नौ बजकर 16 मिनट पर शुरू होगा. भारत में नौ बजकर 56 मिनट और वाराणसी क्षेत्र में सुबह दस बजकर 31 मिनट पर दिखाई देगा. सूर्यग्रहण की समाप्ति वाराणसी में अपराह्न दो बजकर चार मिनट तथा भारत के अन्तिम छोर पर तीन बजकर चौदह मिनट पर होगा. इसी समय के बीच में अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग समय पर वलयाकार या खण्ड सूर्यग्रहण की दृश्यता रहेगी.
सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. ‘ॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का जप करना चाहिए. सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए. बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं. ग्रहण पूरा होने पर सूर्य का बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए. ग्रहण के बाद भोजन बनाना चाहिए. ग्रहण शुरू होने से अंत तक तो बिल्कुल भी अन्न या जल नहीं लेना चाहिए. ग्रहण के समय एकान्त में नदी के तट पर या तीर्थों में गंगा आदि पवित्र स्थल में रहकर जप पाठ सर्वोत्तम माना गया है. इस समय किया गया कोई भी दान अक्षय होकर कई गुना फल प्रदान करता है. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जररूतमंदों को वस्त्र और उनकी आवश्यक वस्तु दान करने से अनेक गुना पुण्य फल प्राप्त होता है. गर्भवती महिलाओं तथा नवप्रसुताओं को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए. सुतक के समय से ही ग्रहण के यथाशक्ति नियमों का अनुशासन पूर्वक पालन करना चाहिए. उनके लिए बेहतर यही होगा कि घर से बाहर न निकलें और अपने कमरे में एक तुलसी का गमला रखे. सूर्य पुराण में कहा गया है कि रविवार को सूर्य ग्रहण होने पर चूड़ामणि योग होता है. चूड़ामणि योग में होने वाले ग्रहण का बहुत महत्व है. इस ग्रहण में स्नान, जप, दान से की करोड़ गुना ज्यादा फल मिलता है.
-पं अवनीश कुमार उपाध्याय