


पांच मुखों वाली माँ पचरुखा देवी का महिमा निराला, जाने क्या है इतिहास
पचरुखा देवी ने वीरवर कुंवर सिंह की बचाई थी जान
मां के दरबार में आने वाला हर कोई झोली भर कर ले गया
देवी से जुड़ी है कई पौराणिक कथाएं
बलिया. रेवती से करीब दो किमी दक्षिण-पश्चिम रेवती-बलिया मुख्य मार्ग के किनारे गायघाट गांव में मां पचरुखा देवी का मंदिर स्थित है.
वैसे तो मां के दरबार में भक्तों की भीड़ हमेशा बनी रहती है लेकिन नवरात्र की प्रतिपदा तिथि से ही माता के पूजन, अर्चन, दर्शन के लिए भक्तों का जनसैलाब मंदिर में उमड़ रहा है.
लोगों का कहना है कि जो भी सच्चे मन से आकर माता के दरबार में शीश झुकाता है. पांच ममतामयी मुखों वाली माता उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
लोग दूर-दूर से मनोकामना पूर्ति के लिए माता रानी के दरबार में आते हैं तथा अपना अभीष्ट प्राप्ति करते हैं. जन श्रुति के अनुसार आज जहां माता का मंदिर स्थित है, कभी वह भयानक जंगल हुआ करता था. सन 1857 में अंग्रेज सैनिकों से लोहा लेते हुए वीरवर बाबू कुंवर सिंह इधर आ रहे थे.
मुड़िकटवा, कुशहर में वीरवर बाबू की प्राण रक्षा में यहां के स्थानीय आजादी के दीवानों ने 107 अंग्रेज सैनिकों को प्राणहीन कर दिया था. युद्ध से थके मांदे कुंवर सिंह आज जहां मां का मंदिर स्थित है, वहां पंच पेड़ था. वहीं आकर कुंवर सिंह विश्राम करने लगे.
मंद मंद शीतल हवा के झोंके की वजह से कुंवर सिंह को नींद आ गई. इसी बीच माता रानी ने एक ज्योतिपुंज के रूप में दर्शन देते हुए कुंवर सिंह को आगाह किया कि अंग्रेज सैनिक तुम्हारा पीछा करते हुए बहुत नजदीक पहुंच गए हैं. तुम यहां से निकल जाओ. कुंवर सिंह माता रानी रूपी उस दिव्य पुंज को प्रणाम करके सहतवार स्थित अपने मामा राजा दशवंत सिंह के यहां निकल गए.
मां पचरुखा देवी मन्दिर की एक घटना और कही जाती है कि मां के मन्दिर में किसी ने चोरी किया था. उस चोरी करने वाले/वाली पर तीसरे दिन मां पचरुखा दरबार में रहने वाले बन्दरों ने हमला कर दिया. फिर चोर अपनी चोरी कबूल करते हुए चोरी किया हुआ समान मन्दिर में रखा. ऐसी अनेक घटनायें मां पचरुखा देवी के बारें में प्रचलित है.

एक परिवार ने मां पचरूखा मंदिर का कराया जीर्णोद्धार
सन 1828- 29 में गायघाट के ही एक वैश्य परिवार ने मां पचरूखा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. माता रानी की कृपा से उस परिवार का वाराणसी में बड़ा कारोबार है. तत्पश्चात स्थानीय लोगों के सहयोग एवं पीकेएस कंपनी द्वारा बाउंड्री तथा ग्रिल आदि लगवाया गया.
सांसद रविन्द्र कुशवाहा के प्रयास से पर्यटन विभाग द्वारा मंदिर प्रांगण को सुंदर स्वरूप देने के लिए 96 लाख का बजट एलाट किया गया. इन रुपयों से मंदिर प्रांगण के सुंदरी करण का कार्य कराया गया. माता रानी के मन्दिर के बगल में मानस मन्दिर है. जहां श्रीराम, माता सीता, पवन पुत्र हनुमान की मूर्ति स्थापित है.
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