बलिया : दुबहर क्षेत्र के अखार गाँव स्थित बाबा तेजेस्व्रर नाथ महादेव मंदिर पर रुद्रमहायज्ञ के दौरान कथा में कथावाचक सन्दीपाचार्य जी ने कहा कि मानव जब अहंकार को त्यागकर विश्वास को धारण करता है तो अन्त:करण में प्रेम का अभ्युदय होता है.
उन्होंने कहा कि निश्छल प्रेम के कारण शान्ति स्थापित होती है. शान्ति स्थापना के साथ ही वहां ईश्वर का अधिवास होता है. जहां ईश्वर बसते हैं वहां संसार के किसी अन्य वस्तु की कोई आवश्यकता नहीं होती है.
कथा में उन्होंने कहा कि कामदेव ने जब भगवान शिव की समाधि तोड़ दी तो भगवान शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को जला कर भस्म कर दिया. इस घटना का तीव्र आघात कामदेव की पत्नी रति को लगा.
वह विलाप करती हुई भगवान शिव के चरणों में गई. भगवान उसके विलाप से द्रवित हो गए. उन्होंने काम के पुनर्जीवन का वरदान दिया- रति! तुम्हारा पति अनंग के रूप में जीवित रहेगा, शरीर न रहते हुए भी समस्त प्राणियों के शरीर में निवास करेगा.
कथावाचक ने कहा कि रति को पूरी तरह सन्तुष्ट न देखकर उन्होंने उसे दूसरा वरदान देते हुए कहा कि द्वापर युग में पृथ्वी का भार अपहृत करने के लिए ईश्वर कृष्ण के रूप में अवतरित होगा और तब तुम्हारा पति कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा, तब तुम उसे पुनः पा सकोगी.
इस मौके पर भोला सिंह, जय कुमार सिंह, सुनील सिंह, पिंटू सिंह, अशोक सिंह, अरुण सिंह, मोहित दुबे, राजेश, बिटू, गप्पू, सोनू, सन्तोष आदि लोग भी उपस्थित थे.