बांसडीह के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में सुविधाओं का टोटा

बांसडीह, बलिया. सरकार चिकित्सा व्यवस्था सुधारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. लेकिन बांसडीह कस्बा स्थित राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल की बात करें तो खुद पर आंसू बहा रहा है. जहां बिजली का कनेक्शन जरूर है लेकिन पंखा तक नहीं चलता. वजह कि पॉवर ज्यादा रहता है. नलका है लेकिन पानी नहीं, 15 बेड का अस्पताल है लेकिन एक भी बेड सही नहीं. और अस्पताल किसी टापू से कम नही.

बलिया में अस्पताल जरुर हैं किंतु ध्यान शायद किसी का नहीं है. यहीं वजह है कि स्थानीय कस्बा स्थित गढ़ पर राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल सुविधाओं से कोसों दूर है. विडंबना यह भी है कि उक्त अस्पताल किराया पर है जब कि सरकार ने पहले आदेश जारी किया था कि कोई अस्पताल किराया पर नहीं चलेगा. प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ ज्योति ने बताया कि इतनी ऊंचाई पर है कि सांस के मरीजों को ऊपर चढ़ने में दिक्कत होती है. हालांकि मरीजों का उपचार होता है. चिकित्साधिकारी ने कहा कि बिजली का कनेक्शन जरूर है लेकिन ज्यादा पॉवर होने के चलते पंखे तक नहीं चलते है. इस अस्पताल को अन्यत्र जगह ले जाने के लिए उप जिलाधिकारी बांसडीह दीपशिखा सिंह से मिलकर आग्रह की थी ताकि मरीजों को अच्छी व्यवस्था मिल सके.

कहने को 15 बेड का अस्पताल एक भी बेड ठीक नहीं 

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बांसडीह स्थित कस्बा में आयुर्वेदिक अस्पताल की स्थिति इतनी खराब है कि कहने को 15 बेड का अस्पताल है. किंतु एक भी बेड ठीक नहीं दिखाई दिया. उमस भरी गर्मी में कर्मचारी वहां कैसे उपचार करते होंगे अंदाजा लगाना मुश्किल है. अस्पताल परिसर में नलका है परंतु खराब होने के चलते पानी नहीं दे रहा है.

मौके पर मौजूद कर्मचारी सूरज कुमार ने कहा कि हम कर्मचारियों को कोई दिक्कत नहीं है. दिक्कत जनता को है जिन्हें ऊपर चढ़ने में परेशानी होती है. दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हैं. यदि अस्पताल अन्यत्र जगह शिफ्ट हो जाय तो लोगों के साथ हमको भी राहत मिलेगी.

सूरज ने कहा कि यहां 25 से 30 मरीज रोज आते हैं इस अस्पताल को ब्लॉक परिसर या अगउर स्थित सीएचसी में स्थापित कर दिया जाय. निश्चित ही मरीजों की संख्या बढ़ जाएगी. क्यों कस्बा के अंदर और ऊंचाई पर यह आयुर्वेदिक अस्पताल है.

(बांसडीह संवाददाता रवि शंकर पाण्डेय की रिपोर्ट)

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