बैरिया (बलिया) से वीरेंद्र नाथ मिश्र
जिले में गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव पर है. इस कारण अवशेष केहरपुर और गंगापुर समेत ज्यादातर तटवर्ती इलाकों में कटान का क्रम जारी है. साथ ही जलस्तर बढऩे का क्रम भी जारी रहा. गंगा चेतावनी बिंदु 56,615 की ओर अग्रसर है. नदी तटवर्ती निचले हिस्से में पानी का फैलाव पचरुखिया से लेकर पोखरा तक जारी है. इस कारण कई एकड़ खेतों में मक्का, परवल और हरी सब्जी प्रभावित हो चुकी है. उफनाई गंगा के तेवर अब ग्रामीणों को डराने लगा है. लोग अपने सामान लेकर पहुंचने लगे हैं दुबे छपरा बंधा यानी एनएच 31 पर. तीन-चार दिन पहले से ही एनएच के किनारे गांव वासियों ने झोपड़िया डालना शुरू कर दिया था.
बता दें कि दुबेछपरा में बाढ़ और कटान रोधी कार्य को ग्रामीण प्रभावहीन मान रहे हैं. गांव के पीछे से बना रास्ता रात से ही जगह-जगह कटना शुरू हो गया. ऐसे में आज 11 बजे से पहले ही निचले इलाकों में बसे उदई छपरा, गोपालपुर के ग्रामीण अपने घरों को उजाड़ कर जो भी सामान और परिवार ले जा सके ट्रैक्टरों पर लादकर बंधे पर ले आए. 11 बजे तक रास्ता गंगा के बाढ़ के पानी से कट गया. ऐसे में अब उधर से ट्रैक्टर लाने लायक नहीं है तो लोग दूसरे रास्ते से बंधे की तरफ जाने लगे हैं.
यहां यह भी बता दें कि पिछले साल 16 सितंबर को लगभग 39 करोड़ की लागत से बने दुबे छपरा रिंग बंधा लगभग 800 मीटर की लंबाई में गंगा के बाढ़ के पानी से ध्वस्त हो गया था. तब दुबेछपरा, गोपालपुर, उदई छपरा तथा प्रसाद छपरा गांव में भीषण तबाही मची थी. गांव जलमग्न हो गए थे. कई लोगों के कच्चे पक्के मकान ध्वस्त हो गए थे. ढाई महीने तक लोग दुबे छपरा में एनएच 31 के किनारे शरण लिए.
इस साल बाढ़ व कटान से बचाव के लिए प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से पारकोपाइन पद्धति से कटान रोधी कार्य तो शुरू हुआ, लेकिन वह अभी आधा अधूरा ही तैयार हुआ कि गंगा के बाढ़ का पानी बढ़ गया.
हालात यह है कि पारकोपाइन पानी में डूब चुके हैं, पारकोपाइन को 20- 30 मीटर पीछे छोड़ गंगा का पानी गांव के और लपलपाता बढ़ता चला आ रहा है. यहां जगह-जगह ऊंचे ऊंचे आरार हैं, जो गंगा के बाढ़ के पानी के बढ़ाव के साथ ही धीरे-धीरे कट रहे हैं. स्थिति गंभीर है. 3 दिन से गांव में बाढ़ कटान को लेकर भय का माहौल बना हुआ है. लेकिन यहां सरकारी तौर पर कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.
गांव के लोग जो अपेक्षाकृत निचले हिस्से में बसे हैं, बाढ़ के पानी अथवा कटान के डर से अपने घर मकान तोड़कर सामान लेकर एनएच पर परिवार व सामान लेकर पहुंचना शुरू कर दिए हैं. बाढ़ व कटान की आशंका से तीन-चार दिन पहले से ही बंधे पर लोग छानी छप्पर भी लगा लिए हैं.