
बलिया से कृष्णकांत पाठक
1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 16 अगस्त 1942 को बलिया में महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया था. बलिया शहर में धारा 144 को तोड़ने के लिए महिलाओं ने भारी तादाद में इकट्ठी हो जुलूस निकाला.
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इस जुलूस का नेतृत्व ज्ञान की देवी मान की देवी सावित्री, कांती, गायत्री, धूपा, लखरौनी एवं श्याम सुंदरी कर रही थी. जब यह जुलूस बलिया शहर के लोहापट्टी में नारेबाजी करते हुए घूम रहा था, उसी समय सभी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया. अलग-अलग पुरुष क्रांतिकारियों ने भी जुलुस निकाला परंतु जुलूस में अंग्रेजों द्वारा गोली चलाई गई, जिसमें 9 व्यक्ति शहीद हो गए.
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चितबड़ागांव रेलवे स्टेशन पर क्रांतिकारियों ने आग लगा दी. रेल पटारियां उखाड़ी गईं. सिग्नल तोड़ दिया गया. क्षेत्र के हीराराम, आत्मा, कांदु रंजन, राधा कृष्ण, अच्छेलाल, जनार्दन, जगन्नाथ तिवारी, छेदी, शिवपूजन और भोज दत्त पर मुकदमा चलाया गया. लोगों के दबाव में नरही के थानेदार सुंदर सिंह ने अपने हाथ हो थाने पर झंडा फहराया. डाक खाना में आग लगा दी गई. रतनपुरा चिलकहर रेलवे स्टेशन पर सिग्नल के तार तोड़ दिए गए और स्टेशन पर मौजूद सभी अभिलेख फूंक दिए गए. बलिया के नौरंगा घाट पर पानी के जहाज को क्रांतिकारियों ने पानी में बहा दिया. इस प्रकार की घटनाओं से ब्रिटिश हुकूमत दहल उठी थी. बलिया में तैनात अंग्रेज अफसरों को समझ में नहीं आ रहा था कि इस पर कैसे काबू पाया जाए.
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