तीस वर्ष बाद भी नहीं बना राजकीय बालिका विद्यालय का भवन

तहसील के पुराने जर्जर भवनों में चल रहा है यह विद्यालय

रसड़ा(बलिया)। स्थानीय नगर में तीस वर्ष पूर्व स्थापित राजकीय बालिका इंटर कालेज को उसका एक अदद निजी भवन मुहैया नहीं हो सका है. तहसील के पुराने जर्जर भवनों में संचालित यह विद्यालय बालिका शिक्षा के नाम पर अभिशाप बनकर रह गया है.

 बताते चले कि सन् 1986 में तत्कालिन कांग्रेस विधायक के प्रयास से रसड़ा नगर तथा आसपास के ग्रामीण अंचलों की बालिकाओं को इंटरमीडिएट तक शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से इस विद्यालय की मान्यता शासन से दिलायी थी. उन दिनों यह विद्यालय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन में चला तथा लगभग 25 वर्षो से यह विद्यालय पुराने तहसील के जर्जर भवनों में संचालित हो रहा है. गौरतलब है कि इस विद्यालय में विधिवत इंटरमीडिएट तक के लिए बालिकाओं का प्रवेश लिया जाता है. बालिकाओं को पढ़ाने के लिये यहां शिक्षिकाओं की तैनाती भी की गयी है. किन्तु यहां जर्जर भवनों के डर व लैब, शौचालय, पेयजल, प्रकाश आदि के मुकम्मल इंतजाम न होने के कारण यहां बालिकाओं का दाखिला तो होता है किन्तु वे यहां काफी कम संख्या में पढ़ने के लिये आती है. यह बात किसी भी अधिकारी को नागवार लग सकता है. लेकिन इसके लिये जिम्मेदार भी स्वयं शिक्षा विभाग व शासन-प्रशासन है. सुरक्षा की दृष्टि से कोतवाली के बगल में संचालित इस विद्यालय को उसका भवन दिलाने के लिये कई बार करोड़ों रूपये शासन से आया, किन्तु राजस्व विभाग के द्वारा भूमि स्थानांतरित न किये जाने के कारण यह विद्यालय अब तक अपना मूल स्वरूप प्राप्त नहीं कर सका. समाजसेवी संजीव कुमार सिंह सब्लू, प्रबंधक अवधेश सिंह, किसान नेता रामछबीला सिंह, प्रधानसंघ के जिलाध्यक्ष राधेश्याम यादव, अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद सिंह आदि सभ्रांतजनों ने बालिका शिक्षा के हित में शासन-प्रशासन नियमों के दायरा से उपर उठकर रसड़ा नगर में ही राजकीय बालिका इंटर कालेज का भवन बनाये जाने की मांग की है.

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