लाल बालू का काला खेल : कालाबाजारियों की चांदी, जरूरतमंद परेशान 

​ग्रामीणों ने पकड़ा बालू से लदा ट्रैक्टर, पुलिस ने छोड़ा

विधायक से ग्रामीणों ने की शिकायत

विद्रोह के मूड में ग्रामीण, ठहरा बैरिया का विकास, हजारों हुए बेरोजगार

बैरिया (बलिया)। प्रदेश के राज्यमंत्री की घोषणा के बाद भी इलाके के जरूरतमंद ग्रामीणों को लाल बालू को लेकर कोई राहत नहीं मिल पाई है. अलबत्ता लाल बालू के कारोबारी पुलिसिया परमिट के सहारे अपना काम धड़ल्ले से कर रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि परेशान लोग कब विद्रोह पर आमादा हो जाए कहा नहीं जा सकता. इसका आगाज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धरती से हो चुका है. शुक्रवार की रात 10 बजे के लगभग चांददियर के तरफ जा रहे बालू से लदी ट्रैक्टर को ग्रामीणों ने रोक लिया.

थानाध्यक्ष, चौकी प्रभारी चांददियर और 100 नंबर पुलिस को सूचना दी. पुलिस के पहुंचने पर बालू से लदे ट्रैक्टर को उन्हें सौंप दिया गया. किंतु रात में है वह ट्रैक्टर पुलिस ने छोड़ दिया. ऐसा ग्रामीणों का आरोप है. गांव वाले देर रात तक सिपाहियों के वापस लौटने का इंतजार करते रहे. लौट कर सिपाहियों ने ग्रामीणों को बताया कि ट्रैक्टर चालक अचानक नरहरि धाम की ओर मुड़ गया और रास्ते पर ही बालू गिरा कर भाग निकला. ग्रामीण अब लामबन्द होकर उस रास्ते बालू की तिजारत ही बन्द कराने का मंसूबा बना बैठे हैं. 

बतादें कि खनन पर रोक के दौरान पुलिस व बड़ी पहुंच वाले लोगों की मिली भगत से लाल बालू का कारोबार फलता फूलता रहा. बालू का रेट आसमान छूने लगा. नतीजा रहा कि बालू की मंहगाई के चलते इलाके में हजारों लोगों के मकान का निर्माण अधर मे फंस गया. दस हजार से भी ज्यादा राजमिस्त्री व मजदूर बेरोजगार हो गए. उनके भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई. ऐसे लोग कर्ज के बोझ तले दब गये है.

सच के आइने में देखा जाय तो बैरिया विधान सभा क्षेत्र में लालबालू है ही नहीं, तो खनन कहां से होगा ? लेकिन कानून तो कानून है. इस इलाके मे बिहार से सड़क व नदी मार्ग से लाल बालू आता है. खास कर नदी मार्ग से गंगा तटों से नाव से उतरने वाला बालू ही इलाकाई लोग भवन निर्माण के लिए खरीदते है. लेकिन लालबालू के इस काले खेल में पुलिस, प्रशासन व चंद कारोबारी तो लाल हुए, लेकिन हजारों भवन निर्माता, भवन सामग्री विक्रेता, राजमिस्त्री व मज़दूरों के लिए शामत आ गई. इलाके के ग्राम पंचायतों में होने वाला विकास कार्य भी बन्द हो गया है. बैरिया विधान सभा का विकास भी ठहर गया है. ऐसा नही है कि इस कारोबार पर सरकारी कार्यवाही नही हुई. लेकिन वह कार्यवाइयां मुट्ठी भर हुई और धंधा मन भर चला.

राज्यमन्त्री उपेन्द्र तिवारी की घोषणा के बाद गृहनिर्माताओ मे थोड़ी सी सजगता आई तो सामने पुलिस खड़ी हो गई है. कारोबारियों का बालू तो ट्रकों से धड़ल्ले से जा रहा है. लेकिन एक दो ट्राली वाले जरूरतमंद लोगों का बालू रोका जा रहा है. आचार संहिता मे सड़ा देने व फंसा देने तथा किसी तरह का आदेश नही आने की धमकी देकर धनादोहन किया जा रहा है. शुक्रवार की रात ट्रैक्टर रोककर पुलिस को सौंपने के बाद उसके छूट जाने/भाग जाने की जानकारी होने पर जयप्रकाश नगर के ग्रामीण विधायक सुरेन्द्र सिंह से मिले.

सूर्यभान सिंह ने विधायक से कहा कि अपने यहां खनन जैसी तो कोई बात ही नही है. घर निर्माण, गांवो का विकास सब रुक गया है. हजारो मजदूर, मिस्त्री बेरोजगार बैठे है. भले ही घाटों पर कर्मचारी बैठा दिए जाय. नावों से आने वाले बालू का जो भी वाजिब टैक्स लगे वह जमा कराकर बालू तो आने दिया जाय. सूर्यभान सिंह ने इस बावत मुख्यमंत्री सहित तमाम उच्चाधिकारियों के यहां गुहार लगाने व आदेशों की बात भी विधायक के समक्ष रखी.

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विधायक सुरेन्द्र सिंह ने इस विकट समस्या के लिए जिलाधिकारी को जिम्मेदार बताया. कहा कि इसी वजह से पुलिस को लूटने की छूट मिल गई है. थानेदार व सम्बन्धित अधिकारियों पर आक्रोश व्यक्त करते हुए विधायक ने कहा कि मै लखनऊ जा रहा हूं. सम्बन्धित विभाग के मंत्री व अधिकारियों से मिल कर जो टैक्स वाजिब हो वह घाट पर ही जमा कराकर जनता की सुविधा की व्यवस्था कराने की कोशिश करूँगा. अगर ऐसा नही होता है तो अन्ततः आन्दोलन करूंगा. बालू की समस्या को लेकर चुप्पी लगाने वाले जनप्रतिनिधियों पर भी विधायक ने निशाना साधा.

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