मितरों, काशी के बीजेपी प्रत्याशियों पर रहम तो करो!!!!

आशीष बागची (वरिष्ठ पत्रकार)

वाराणसी में बीजेपी प्रत्याशियों की सूची देखकर समर्थक व उनकी ट्रोल आर्मी भले ही खुश हो रही हो पर उत्तरी, दक्षिणी व कैंट में उन्हें जीतने के लिए काफी पसीना बहाना होगा. सोशल मीडिया पर बीजेपी प्रत्याशियों के गले में माला डालकर भले ही फोटो में उन्हें जीतते हुए ट्रोल आर्मी दिखती हो पर मुझे नहीं लगता कि इन्हें इतनी आसानी से जीत मिलने जा रही है. चूंकि मैं इन दिनों वाराणसी से बाहर हूं पर बीजेपी समर्थकों के आए फोन से यही पता चलता है कि काडर को काफी मनाना पड़ेगा.

पांड़ेपुर, गोदौलिया और रथयात्रा में रह रहे बीजेपी मित्रों से बात हुई. सभी ने एक स्वर से यही कहा कि बीजेपी को नाको चने चबाने होंगे. शहर दक्षिणी की स्थिति थोड़ी भिन्न हो सकती है, पर उत्तरी और कैंट में बीजेपी विधायकों ने क्या काम किया इसे लेकर हमेशा विवाद होता रहा है. आम लोग तो यह मान कर चल रहे हैं कि इन विधायकों ने कोई काम खास किया ही नहीं है. जितना किया है उससे ज्यादा तो पत्थर लगवाये हैं. गलियों में जो काम हुए हैं, वहां तो पत्थर ही अधिक दिखते हैं.

कैंट में जिसको टिकट मिला है बीजेपी की ओर से, उसे तो शादियों में मैं मोबाइल नचाते हुए ही अधिक पाता था. शहर उत्तरी के बीजेपी प्रत्याशी के शरीर का बढ़ता आयतन काफी कुछ कहानी कह देता है. मतदाताओं को यह देखना चाहिये कि जिन प्रत्याशी टाइप लोगों ने कटरे वगैरह बनाये हैं, क्या वहां बेसमेंट की जगह छोड़ी गयी है? कहां कहां नियमों का उल्लंघन हुआ है? मेयर की संपत्ति के बारे में भी तमाम चर्चाएं होती रही हैं, जिन लोगों को टिकट दिये गये हैं. उनकी जानकारियों का स्तर भी थोड़ा मतदाता जांच लेंगे तो उन्हें प्रत्याशी के चयन में सुविधा होगी. मेरी जानकारी में बीजेपी में तमाम ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो लगातार संघर्ष करते रहे हैं.

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE         

राममंदिर आंदोलन में भी मेरी लिस्ट के अनुसार तमाम कार्यकर्ताओं ने जान जोखिम में डालकर पैदल पैदल अयोध्या जाकर कारसेवा की थी. इनमें से अनेक ने लाठी गोली खाई थी. केशव मौर्य और अमित शाह को यह सब बाद में शायद समझ में आए कि किन लोगों को टिकट दिया है और सरकार शायद क्यों नहीं बन पाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में अगर ढंग के बीजेपी उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं और जीत में संशय आ रहा है तो यह दुर्भाग्य की बात है. इससे बीजेपी नेतृत्व को बड़ा झटका लगेगा. बीजेपी को यह नहीं भूलना चाहिये कि नोटबंदी अब भी आम जनता में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

ऐसी हालत में बीजेपी कैडर के घर बैठने की अगर सूचना सही है तो यह दुर्भाग्य की बात होगी. मितरों, भाजपा  पर मतदाता रहम करें इसके लिए ट्रोल आर्मी से कहें कि वह सोशल मीडिया पर नहीं जमीनी स्तर पर संघर्ष करने उतरे और चुनाव में उन्हें जीत दिलाने में महती योगदान करे, ताकि इन विजयी हो चुके प्रत्याशियों की संपत्ति में रात दिन इजाफा होता रहे, वे नयी नयी गाड़ियां खरीदकर मतदाताओं के सामने से फुर्र से निकल सके, आईफोन दिखाकर मतदाताओं को जलाते रहें. मितरों, ट्रोल आर्मी से कहे कि वह धड़ाधड़ कमेंट करे. वह इसी में अपने प्रत्याशियों की जीत माने. उम्मीद है इसे व्यंग्य के रूप में लेंगे और व्यंग्य ही समझेंगे व जीत की राह में ये प्रत्याशी आगे बढ़ें इसके लिए पूरा जोर लगायेंगे. आशा है अन्यथा न लेंगे. वैसे आप सबकी भलाई इसी मे है. शेष शुभ. आपका दिन मंगलमय बीते. शुभ बुधवार.

(courtesy http://ashishhindi.blogspot.in/)

(photo @ Apni Kashi)

This Post is Sponsored By Memsaab & Zindagi LIVE