सुखपुरा रतसड़ माइनर पर पुल – भल मरलस ना कि पिलुआ परल

सुखपुरा (बलिया) से पंकज कुमार सिंह 

pankaj_kumar_singhप्रदेश की सपा सरकार और देश के विकास के दावे तो कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट है. विकास के नाम पर लूट की खुली छूट से इनकार नहीं किया जा सकता. जी हां, हम बात कर रहे हैं सुखपुरा रतसड़ माइनर पर कस्बे के नजदीक बने चार लाख रुपये के लागत से बनी नवनिर्मित पुलिया की. किस प्रयोजन से वहां पुल का निर्माण किया गया. कोई आज तक समझ नहीं सका.

आश्चर्य तो यह है कि निर्माण के एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि पुलिया के दोनों किनारा ध्वस्त हो गया है. अब मजदूर लगाकर उस पर लीपापोती का कार्य किया जा रहा है. बता दें कि जिला पंचायत से इस पुल के निर्माण के लिए चार लाख स्वीकृत किए गए. पूल का निर्माण जिस स्थान पर किया गया है. वहां कोई आता जाता नहीं है. यही नहीं, पुल निर्माण में मानक की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं. सफेद बालू व सेम ईंट से निर्मित पुलिया को क्षतिग्रस्त होना ही था. बालू सीमेंट भी मानक विपरीत लगा है.

यही नहीं, दोनों किनारे के बीच पूल का निर्माण करने से नहर संकरी हो गई है. संकरी होने से पानी का बहाव भी निश्चित रूप से प्रभावित होगा. नतीजतन सिंचाई बाधित होगी. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. पता नहीं नहर विभाग ने बिना किसी औचित्य के वहां पुल निर्माण की अनुमति क्यों दी. यह बात लोग आज तक समझ नहीं सके. पुल क्षतिग्रस्त भी हो चुका है. अब देखना है कि निर्माण में मानकों की अनदेखी के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ विभाग कौन सी करवाई करता है, ताकि धन की लूट की पोल भी खुले और दोषी दण्डित भी हो.

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