बागी बलिया के लाल ने बिहार में जाकर लहराया परचम

बलिया. डॉ धीरज कुमार पांडे पुत्र शिव कुमार पांडे ग्राम बलेऊर पोस्ट सहतवार जिला बलिया का बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन के तहत दर्शन विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए चयन हुआ.

 

डॉक्टर पांडे बाल्यकाल से ही अत्यधिक मेधा संपन्न है. इन्होंने कई स्पर्धाओं में भाग लेकर प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने साथ अपने परिवार का नाम रोशन किया है. वर्ष 2014 में इन्होंने जे.आर.एफ प्राप्त किया तथा वर्ष 2015 में इनके द्वारा श्रेष्ठ निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने महामना संस्कृत अवार्ड से इनको सम्मानित किया है.

 

इसी क्रम में इनको वर्ष 2015 में समस्त स्नातकोत्तर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सर्वोच्च पुरस्कार (चांसलर मेडल) माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों से प्रदान किया जा चुका है तथा इन्होंने राज्य स्तरीय स्पर्धाओं में कई बार प्रथम स्थान तथा राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने गांव के साथ जनपद का नाम रोशन किया है. अभी वर्तमान में ये कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय रामटेक नागपुर में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं.

 

इनके द्वारा अभी तक 20 से ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किये जा चुके हैं एवं इनके द्वारा अभी तक तीन पुस्तकों को प्रकाशित किया जा चुका है अभी वर्तमान में इनके द्वारा अपने माताजी के नाम पर ‘वेदांतपरिभाषा‘ ग्रंथ पर (उमा )संस्कृत टीका लिखी जा रही है तथा इन्होंने ऑनलाइन कई दार्शनिक ग्रंथों का सांगोपांग अध्यापन भी किया है. डॉक्टर पांडे अपने इस उपलब्धि का कारण अपने पुरुषार्थ के साथ-साथ अपने मां-बाप के आशीर्वाद को एवं भगवान् विश्वनाथ के प्रति अनन्य श्रद्धा को बतलाते हैं.

 

डॉक्टर पांडे का कहना है कि यदि युवा वर्ग अपनी सफलता चाहता है तो सबसे पहले अपने लक्ष्य का निर्धारण करें और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनवरत चिंतन के साथ ही साथ अखंड प्रचंड परिश्रम करना प्रारंभ करें.

 

 

डॉक्टर पांडे का कहना है कि साक्षात्कार देते समय विद्यार्थी वर्ग को अपनी सारी ऊर्जा के साथ उपस्थित होकर पूछे गए प्रश्नों का अत्यंत विनम्रता पूर्वक सही उत्तर देना चाहिए.

 

डॉक्टर पांडे का कहना है कि मिथिला की भूमि साधारण नहीं है ज्ञानपूर्ण भूमि है यहां भगवत्पाद आदि शंकराचार्य को भी चुनौती दी जा चुकी है. यदि ऐसे में मिथिला की धरा पर किसी का चयन होता है तो निश्चित रूप से मां उग्रतारा एवं महिषासुर मर्दिनी की कृपा ही इनमें कारण हो सकता है.

 

डॉक्टर पांडे समाज को स्वस्थ दिशा में प्रेरित करने के लिए उपनिषद् आदि शास्त्रों को भी विशेष कारण मानते हैं. इनकी इस उपलब्धि से संपूर्ण संस्कृत परिवार हर्षित एवं रोमांचित सा महसूस कर रहा है.

 

(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)

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