गाजीपुर से विकास राय
करीमुद्दीनपुर स्थित मां कष्टहरणी के धाम में गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, ह्वेन सांग, फाह्यान, स्वामी विवेकानन्द, सहजानन्द सरस्वती, मंडन मिश्र जैसे अनेक लोगों ने इस मार्ग से जाते समय यहां रूक कर मां का दर्शन पूजन किया था. ह्वेन सांग एवं फाह्यान ने यहां का वर्णन अपने यात्रा वृतांत में किया है.
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मां के धाम में आश्विन एवं चैत्र नवरात्र में मातायें दूर दर से आकर अपने परिवार की सुख समृद्धि एवं सलामती के लिये मां कष्टहरणी के चरणों में चौबिस घंटे तक अखंड दीपक जलाती हैं. भक्त रात को मां की चरणों मे गीत एवं नृत्य करते हैं. पूर्वांचल ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में मां के पुराने स्थानों में से एक प्रमुख स्थान है. जितना अखण्ड दीपक मां कष्टहरणी के धाम में जलाया जाता है, शायद पूरे भारत में और कहीं देखने को नहीं मिलेगा.
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सोमवार को लगभग ग्यारह हजार की संख्या में अखंड दीपक जलाये गए. देश के कोने कोने से लोग आकर मां का दर्शन पूजन करते है, वर्ष भर मां के धाम में शादी, मुंडन, कीर्तन एवं रामायण का आयोजन होता रहता है. मां के दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है, रामनवमी के दिन मा के धाम पर विराट मेले का आयोजन किया जाता है, मां के धाम में अयोध्या से पधारे महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलहारी बाबा के द्वारा विराट यज्ञ का आयोजन भी किया गया था.
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मां के मन्दिर के निर्माण में स्व. लाल बाबा का सराहनीय सहयोग रहा है. पुजारी के रूप में लम्बे समय से हरिद्वार पांण्डेय सेवा कर रहे थे, लेकिन अब उनके पुत्र राजेश पाण्डेय पुजारी के रूप में एवं किशुनदेव उपाध्याय, महेश्वर पाण्डेय मां की सेवा में लगे हैं.
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