भृगु पुत्र विश्वकर्मा ने किया था हेमा से प्रेम विवाह  

This item is sponsored by Maa Gayatri Enterprises, Bairia : 99350 81969, 9918514777

यहां विज्ञापन देने के लिए फॉर्म भर कर SUBMIT करें. हम आप से संपर्क कर लेंगे.

बलिया। माता-पिता के प्यार और संरक्षण से वंचित विश्वकर्मा को ननिहाल में मय नाम से खूब दुलार मिला. इस युवा इंजीनियर ने पूर्व की अद्वितीय सुंदरी हेमा से प्रेम विवाह किया. इनके पुत्री के पुत्रों वर्तमान मन्वंतर के मनु वैवस्वत और यम तथा यमुना जुड़वा भाई-बहन का जन्म हुआ. इसे भी पढ़ें – जानिए कैसे भृगु ऋषि का बेटा बन गया शिल्पी विश्वकर्मा

शिवकुमार सिंह कौशिकेय
शिवकुमार सिंह कौशिकेय

अपने वैश्विक शोध ग्रंथ वसुधैव कुटुंबकम के हवाले से शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि अफ्रीका महाद्वीप पर भारतवंशियों का आधिपत्य जमाने में मय विश्वकर्मा का बहुत बड़ा योगदान है. ब्रमांड ऊर्जा को अवशोषित करनेवाले राजमहलों और पिरामिडों को बनाने की कला भार्गव को इन्होंने ही सिखाया. अफ्रीका में सूर्य की पूजा भी इनकी ही देन है. इसे भी पढ़ें – बिल्थरारोड में भी रही विश्वकर्मा पूजन की धूम

कौशिकेय बताते हैं कि वर्तमान अमेरिका महाद्वीप के खोजकर्ता क्रिश क्रिस्टोफर कोलंबस 12 अक्टूबर 1492 को जब यूरोप से भटकते हुए यहां पहुंचे तो वहां 10 लाख रेड इंडियन मानव जाति के लोग मिले. वह भृगु पुत्र विश्वकर्मा एवं उनकी दूसरी पुत्री माया के ही वंशज हैं. अमेरिका की प्राचीन सभ्यता में माया की ही सभ्यता है, जिसके हजारों पुरातात्विक और अभिलेखीय साक्ष्य आज भी मौजूद हैं. यद्यपि कोलंबस की खोज के बाद इस पर हालैंड, फ्रांस, इटली, जर्मनी, इंग्लैंड और पुर्तगाल से पहुंचे लोगों और ईसाई पादरियों ने भगवान शिव, सूर्य, अनंत, वासुकि, तक्षक नाग देवताओं की मूर्तियों हिंदू धर्म ग्रंथों को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी विश्वकर्मा के बहादुर वंशज होपी हुज्जा जातियों के नाम से आज भी विद्यमान हैं.

इसे भी पढ़ें – समारोहपूर्वक मनाया गया विश्वकर्मा पूजन