आखिर रिजवी के पीठ में छुरा कौन घोंप रहा है

सिकन्दरपुर से संतोष शर्मा

SANTOSH SHARMAलम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई…… इस राज को क्या जाने साहिल के तमाशाई. सिकन्दरपुर से दूसरी बार विधायक चुने गए मुहम्मद जियाउद्दीन रिजवी को घोषणा किए जाने के वावजूद मंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई जा रही है. रिजवी के खामोश समर्थकों में इससे आक्रोश है. विशेष तौर पर अल्प संख्यक समुदाय में.

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श्री रिजवी समर्थकों का अब पार्टी नेतृत्व के प्रति गुस्सा धीरे धीरे सार्वजनिक होता जा रहा है. पार्टी के लिए उस दिन सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है, जब श्री रिजवी अपने मंत्री बनने की राह में रोड़े डालने वालों के नाम सार्वजनिक कर देंगे. समर्थक स्वच्छ छवि के मुस्लिम नेता को मंत्री बनाने की घोषणा करने के बावजूद शपथ न दिलाने के लिए अब मुख्यमंत्री को कोस रहे है. बलिया लाइव संवाददाता ने फोन द्वारा जब श्री रिजवी का मंत्री न बनने पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने अपने दिल की बात को साफ तरीके से न कहकर शायराना अंदाज़ में जबाब दिया. स्वभाव से अक्खड़ और खरी बात को बिना लाग लपेट के बोलने वाले श्री रिजवी का कहना था कि “मै तो खरी बात को मुंह पर ही कहने के कारण बदनाम हूं, लेकिन कुछ लोग तो अंदर ही अंदर क़त्ल कर देते है और किसी को भनक भी नहीं लगती. ”

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ऐसे ही बलिया के एक बड़े नेता जो श्री रिजवी के मंत्री बनने में रोड़ा डाल रहे है के सम्बन्ध में उनका कहना है कि — “हम आह भी भरते है तो हो जाते है बदनाम,  वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.” श्री रिजवी के अनुसार मैंने तो हमेशा लोगो की मदद ही की है, ऐसे में मेरा अपनों के द्वारा विरोध समझ नहीं आ रहा है. श्री रिजवी ने कहा कि “कभी भी मैंने मंत्री बनने की न चाहत की थी,  न किसी से मांगा था , यह तो माननीय मुख्यमंत्री जी की चाहत थी, जिन्होंने मेरे नाम की घोषणा कर दी. लेकिन घोषणा पर अमल न होने से मेरे राजनीतिक सफर में जो मेरे शुभचिंतक और सहयोगी हैं. उन्हें बहुत बुरा लगा है. मै उदास रहूं, चल सकता है. लेकिन मेरे समर्थकों के चेहरे पर मायूसी झलके, यह मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता. अगर मुझे लगेगा कि अब पानी सर से ऊपर गुजर रहा है तो मैं अपने उस जनपद के बड़े नेता, जो मेरे राजनीतिक करियर को भंवर में डाल रहे है, विरोध कर रहे है, का नाम सार्वजनिक करने से भी गुरेज नहीं करूंगा.”

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अपने मंत्री घोषित होने और अब तक शपथ न लेने के लिये सिर्फ यही कहूंगा – इस तरह से बर्बाद किया है आपने, कि गया कुछ भी नहीं और बचा कुछ भी नहीं. वादा करके और भी आफत में डाला आपने, जिंदगी मुश्किल थी अब मरना भी मुश्किल हो गया. कौमी एकता दल से विलय और फिर दुश्मनों की तरह अलगाव के बाद सपा से मुस्लिम मतों के अलगाव को रोकने और भाजपा के सांप्रदायिक इरादों को नाकाम करने के लिये जो मुहीम मेरे द्वारा शुरू की गयी थी, सफलता के लिये मैंने माला पिरोई थी, उसको बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती हो गयी है. मेरे समर्थक मुझे रोज रोज फोन करके कह रहे है सिकन्दरपुर आइये. क्षेत्र को विकास के पथ पर ले चलने की अपने मुहिम को तीव्र गति दीजिये. भंवर से लड़ो तुन्द लहरों से उलझो, कहां तक चलोगे किनारे किनारे. अपने मंत्री बनने की राह में रोड़े डालने पर श्री रिजवी ने कहां –नोचा गया परो को बस इतने कुसूर पर, क्यों हमने की कफ़स गुलिस्तां की गुफ्तगू. सुनी सुनाई बात नहीं है, अपने ऊपर बीती है, फूल निकलते है शोलो से, चाहत आग लगाये तो. अंत में श्री रिजवी ने कहा कि किसी को भेज के ख़त हाथ ये कैसा अज़ाब आया, कि हर एक पूंछता है, नामाबर आया, जबाब आया.

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