आखिर खजूर से ही क्यों खोला जाता है रोजा

सिकंदरपुर (बलिया) से संतोष शर्मा

खजूर न केवल एक फल, बल्कि एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा भी है. अन्य समुदायों के लोग जहां इसे फल या दवा के रूप में लेते हैं, वही मुस्लिम समुदाय में इस का धार्मिक महत्व है. इस समुदाय में खजूर से रोजा खोलना सुन्नत माना जाता है. कारण इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब सल्लल रमजान के दिनों में खजूर से ही रोजा खोलते थे. यही कारण है कि रमजान के दिनों में बाजारों में खजूर की बिक्री बढ़ जाती है.

बाजार में आने वाले खजूर में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के होते हैं. हिंदुस्तान में अधिकाधिक खजूर ईरान इराक और सऊदिया से आता है. देशी और अरब मुल्कों से आने वाले खजूर में स्वाद व मिठास में काफी अंतर पाया जाता है. अरब मुल्कों से आने वाला खजूर जहां स्वादिष्ट व लोगों की पहली पसंद होता है, वहीं देसी खजूर उसके मुकाबले कम स्वाद के हैं. स्वास्थ्यवर्धक इस खजूर में आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, एमीनो अम्ल, खनिज पदार्थ, ग्लूकोज फुर्टोस के साथ ही विटामिन बी 1, 2, 5 व विटामिन सी पाया जाता है, जिसे मौसम के अनुसार खाया जाता है. रोजा में खजूर खाने से शरीर में ग्लूकोज की कमी पूरी होती है. जल का संतुलन बढ़ जाता है. जिससे रोजेदारों के शरीर के वजन में कमी नहीं आती, खून की कमी नहीं होती और कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ता है.

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खजूर को रात में एक गिलास पानी में भिगोकर सुबह उसका पानी पीना लाभदायक है, इसमें मौजूद प्रोटीन और फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत मजबूत रखते हैं. इसी के साथ विटामिन्स से शरीर की एंटीबायोटिक क्षमता बढ़ जाती है, जिससे भूख और प्यास पर कंट्रोल रहता है. रोजेदार गर्भवती महिलाओं के लिए तो खजूर काफी फायदेमंद है. उनके रोजाना खजूर खाने से बच्चेदानी की दीवाल मजबूत होती है. इसी के साथ सहद के साथ खजूर का सेवन करने से सुगर के मरीजों को काफी लाभ मिलता है. खून की कमी नहीं होती है. रमजान का महीना चल रहा है बाजार में जगह-जगह खजूर की दुकानें सज गई है. दुकानों पर  शाम होते ही खजूर  के खरीदारों की कमी नहीं होती कारण की अधिकारिक लोग खजूर से ही रोजा खोलते हैं.

 

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