ददरी मेले की पंचकोशी दीपावली को भृगु मंदिर से प्रारंभ होगी

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भृगु-दर्दर क्षेत्र की पुण्यदायी पंचकोशी परिक्रमा दीपावली के दिन प्रारंभ होगी

बलिया। सप्तद्वीपों की प्रदक्षिणा के बराबर पुण्य फल देने वाली, सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाली, सर्वत्र विजय प्रदान करने वाली भृगु- दर्दर क्षेत्र की पंचकोशी परिक्रमा दीपावली 07 नवम्बर को महर्षि भृगु मंदिर में पहुँचेगी. 8 नवम्बर की प्रातः गर्गाश्रम के लिये प्रस्थान करेगी.
भृगु-दर्दरक्षेत्र के कार्तिक महात्म्य, कल्पवास, कार्तिक पूर्णिमा स्नान, ददरी मेले की महत्वपूर्ण कड़ी पंचकोशी यात्रा के संबंध में साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि पद्मपुराण दर्दरक्षेत्र महात्म्य खण्ड के अनुसार
‘पंचकोश गतान्देवानृषिंश्रापि प्रदक्षिणा. प्रदिशिणीकृत तेन सप्तद्वीपवती मही’.

भृगुक्षेत्र की पंचकोशी परिक्रमा करने ऋषि-मुनि, देवी-देवता सभी आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जिन्हें किसी ने शाप दिया है, उसका मोचन भी इस परिक्रमा को करने से हो जाता है.
‘गर्गाश्रमात्समारम्भं यावत्पराशराश्रमं. तावत् क्षेत्रं विजयानीयत पंचकोशं महत फलं’.

गर्गाश्रम सागरपाली से प्रारंभ होकर पराशर आश्रम परसिया तक जाने वाली इस परिक्रमा यात्रा का संचालन भृगुक्षेत्र के ऋषि-मुनियों के द्वारा अनादिकाल से की जाती रही है. पहले इस यात्रा में हजारों हजार लोग शामिल होते थे. अर्वाचीन समय में भृगुक्षेत्र के सिद्ध संतश्री खाकी बाबा ने दीर्घकाल तक परिक्रमा यात्रा का संचालन किया. वर्तमान में भी उन्हीं के वंशजों के द्वारा इस पुनीत परम्परा को जीवित रखा गया है. इस यात्रा के वर्तमान संवाहक उमेशचन्द्र चौबे ने बताया कि पंचकोशी परिक्रमा यात्रा चौबेछपरा स्थित ठाकुर मंदिर से 07नवम्बर को दो बजे दिन में ठाकुरजी की पूजा अर्चना के उपरान्त पालकी पर संकीर्तन करते हुए प्रारंभ होगी. दीपावली के दिन सायं चार बजे भृगु मंदिर पहुँचेगी, संध्या आरती और विशेष पूजन के बाद रात्रि विश्राम होगा. आठ की प्रातः छः बजे गर्गाश्रम के लिये प्रस्थान करेगी. जहाँ छोटी सरयू-तमसा तट पर पंचकोशी का मेला लगता है. नौ को प्रातः काल गर्गाश्रम से यह यात्रा विमलतीर्थ देवकुलावली ( देवकली , बहादुरपुर ) पर पहुँचेगी जहाँ यात्रा का तीसरा रात्रि विश्राम होगा. दस नवम्बर को देवकली से चलकर कुशेश्वर- क्षितेश्वर नाथ महादेव मंदिर छितौनी पहुँचेगी. ग्यारह नवम्बर को छितौनी से चलकर पराशर आश्रम परसिया पहुँचेगी. जहाँ पाँचवीं रात्रि का विश्राम होगा. बारह नवम्बर सोमवार को परसिया से चलकर भृगु मंदिर वापस आकर इस यात्रा का समापन होता है.
इस आध्यात्मिक, पौराणिक परिक्रमा यात्रा के संचालक उमेश चन्द्र चौबे एवं सहयोगी डॉ रमाकान्त त्रिपाठी प्राचार्य सच कॉलेज, अशोक चौबे, शत्रुघ्न पाण्डेय, विजय शुक्ल, संजय पाण्डेय, संजय शुक्ल, डब्लू पाठक ने भृगुक्षेत्र की पावन परिपाटी परिक्रमा यात्रा में अधिक से अधिक लोगों के सहभागी होने की अपील किया.