शबाब पर पहुंचा धनुष यज्ञ मेले का आरम्भिक अश्व मेला

महाराष्ट्र से आए नोकड़ा-नोकड़ी पर फिदा हो रहे अश्व शौकीन

पांच लाख रूपए से भी अधिक मूल्य के पहुंचे अश्व

बैरिया (बलिया)। संत सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेले के आरंभिक चरण में लगने वाला अश्व मेला अपने शबाब पर है. इस साल महाराष्ट्र के अश्वों के आ जाने से मेले की रौनक और भी बढ़ गई है. मेले में 5 लाख रूपये मूल्य से भी अधिक के नोकड़ा-नोकड़ी (घोड़े-घोड़ी) आये हैं.

जिन्हे देखने व खरीदने वालों की खूब भीड़ लग रही है. सुदिष्ट बाबा के आश्रम के पीछे के विशाल मैदान में सुबह से शाम तक घोड़े-घोड़ियों को दौड़ा कर चाल देखने का मंजर कुछ खास ही है. दिन भर घुड़दौड़ देखने वालों की भीड़ खूब इकट्ठा रह रही है.
बताते चलें कि संत सुदिष्ट बाबा के आश्रम पर प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्षीय पंचमी से लगने वाले धनुषयज्ञ मेला से पूर्व मेला परिसर में अश्व मेला लगने की परम्परा है. अश्व पालकों, शौकीनों व व्यापारियों के लिए यह मेला खास होता है.

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कृषि उपयोग, तांगा के अश्व सहित अश्व पालकों व शौकीनों की रुचि के अनुरूप यहां हर तरह के अश्व आते है. अच्छी खरीद विक्री भी होती है. इस साल पिछले वर्षों की तुलना में खास उम्दा प्रजाति के अश्वों के आने से मेले की रौनक और भी बढ़ गई है. ग्राहकों की भीड़ बढ़ने से दूर दराज के आए अश्व व्यापारी भी गदगद हैं. यह मेला ग्राम पंचायत कोटवां/मेला प्रबन्ध समिति द्वारा लगाया जाता है. मेले में महाराष्ट्र, छपरा, मुजफ्फरपुर, सासाराम, रोहतक, गोपालगंज, देवरिया, इलाहाबाद, वाराणसी आदि दूर दराज जगहों से व्यापारी अश्व लेकर आए है.

 बृहस्पतिवार को मेला प्रबन्ध समिति के पूर्व प्रधान गौरी शंकर प्रसाद, मिथिलेश सिंह, हृदयानन्द सिंह, मंगल मिश्र, रामदेव सिंह, रामलक्षण सिंह आदि लोग मेले में व्यापरियो से मिल कर उनका हाल जाने. पूर्व प्रधान गौरीशंकर प्रसाद ने बताया कि अश्व मेला मे सफाई, पानी व प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गई है. यहां अश्व चिकित्सा शिविर, अश्व के लिए आवश्यक सामान तथा व्यापारियों के जरूरत के सामानों के लिए दुकानों की व्यवस्था की गई है. बावजूद व्यापारियों की समस्याओं के निदान के लिए ग्राम पंचायत सदस्य व जिम्मेदार लोग मेले मे हर समय उपस्थित रह रहे हैं.

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