बलिया। बलिया तत्कालीन जिला प्रशासन व बाढ़ विभाग के अधिकारियों की अदूरदर्शिता के आरण अंततः शनिवार की दोपहर गंगा की लहरों ने रिंग बंधे को पराजित कर ही दिया. रिंग बन्धा टूटने से गोपालपुर, दूबेछपरा, उदईछपरा, प्रसाद छपरा आदि गांवों की लगभग 50 हजार आबादी पर मानों कहर टूट पड़ा है.
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जो अथक प्रयास दिन रात जागकर नवागत डीएम गोविन्द राजू एनएस, एसपी प्रभाकर चैधरी, एसडीएम बैरिया अरविन्द कुमार आदि के साथ एनडीआरएफ की तीन टीमों ने बन्धे को बचाने के लिए किया वहीं प्रयास यदि अप्रैल मई में तत्कालीन आला अधिकारियों ने उसको सुदृढ़ करने के लिए किया होता तो ऐसी नौबत नहीं आती.
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तत्कालीन जिला प्रशासन तथा बाढ़ विभाग के अधिकारियों को ही इसका जिम्मेदार क्षेत्रीय लोग मान रहे हैं. गुरुवार की रात से लेकर शुक्रवार की देर रात तक एनडीआरएफ की तीन टीमों के साथ डीएम, एसपी, बैरिया एसडीएम और मजदूर की भूमिका में आकर बन्धे को बचाने का अथक प्रयास करते देखे गये. एक बार तो ऐसी उम्मीद जग गई थी कि खतरा टल गया है. ग्रामीणों ने भी बन्धे को बचाने के भूख प्यास त्यागकर पूरी ताकर झोंक दी, लेकिन गंगा की प्रचंड लहरों ने सबको हताश करते हुए अपनी ताकत का एहसास करा दिया. गंगा की लहरों ने व्यवस्था के गाल पर तमाचा मारते हुए यह सबक दिया कि जब मैं शान्त रहूं तभी कोई प्रयास कर सको तो करो अन्यथा रौंद्र रूप धारण करने पर मैं किसी को नही सुनूंगी.
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बंधा टूटने के बाद वहां की स्थिति यह थी कि सभी आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि सिर पर हाथ किए तमाशबीन बनकर रह गये. ग्रामीणों में भगदड़ मची थी, लोग चिल्ला रहे थे, मीडिया कर्मी फोटो खींच रहे थे और सबको चिढ़ाते हुए गंगा की लहरे अट्टाहास कर रही थी. शुक्रवार की आधी रात के बाद डीएम, एसपी व अन्य अधिकारी वहां से लगभग आश्वस्त होकर लौटे थे. उन्हें क्या पता था कि शनिवार का दिन काफी हताश व निराश करने वाला होगा.
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बन्धा टूटने की खबर मिलते ही डीआईजी धरमवीर यादव, कमिश्नर नीलमम अहलावत, डीएम गोविन्द राजू एनएस, एसपी प्रभाकर चैधरी, एसडीएम बैरिया अरविन्दर कुमार, सीओ बैरिया टीएन दूबे एवं अन्य अधिकारी मौक पर पहुंचे गये तथा हताश नजरो से रिंग बंधे को निहारते रहें. काबीना मंत्री नारद राय व राज्य सभा सांसद नीरज शेखर भी मौंके पर पहुंचे.
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कमिश्नर ने प्रभावित गांवों से पलायित लोगों को रहने, खाने पीने, दवाइयां आदि की व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन को कड़ा निर्देश दिया. सांसद ने बंधे को टूटने के लिए जिला प्रशासन तथा बाढ़ अधिकारियों को खुले तौर पर जिम्मेदार बताते हुए न्यायिक जांच की बात कही है.
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