“गेहूं, जौ जवानी में जुल्फी हिलावे..”जीयरा कचोटेला उचटेला मनवा..

फ़ूहड़ गीतों पर रोक लगाना जरूरी- विद्यार्थी
दुबहर, बलिया. परंपराओं को सहेजने के लिए किसी के पास फुर्सत ही नहीं है. युवाओं पर पश्चिमी परंपरा हावी हो चुकी है. रही- सही कसर आधुनिक लोक गायकों ने पूरी कर दी है. भोजपुरी गीतों के नाम पर अश्लील गीत परोसे जा रहे हैं, जिसे सुनकर भी लोग अनसुना करने को विवश हैं.  ऐसे फूहड़ गीतों पर रोक लगाना जरूरी है.
उक्त बातें सामाजिक चिंतक एवं गीतकार बब्बन विद्यार्थी ने अखार ढाला स्थित मीडिया सेंटर पर पत्रकारों से बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा अनेक भाषाओं की जननी है. यह अश्लील हो ही नहीं सकती.

आज कुछ कलाकार पैसा व शोहरत कमाने की होड़ में मर्यादा और परंपरा को भूलते जा रहे हैं. भोजपुरी के नाम पर फूहड़ता परोसने का जो नाटक हो रहा है, यह ठीक नहीं है. कहा कि गीतों का असर हमारी संस्कृति एवं समाज के लोगों पर पड़ता है. कलाकारों को अमर्यादित गीतों से परहेज करना चाहिए.
क्षेत्रीय ग्रामीणों एवं पत्रकारों के आग्रह पर श्री विद्यार्थी ने अपनी भोजपुरी गीत-“गेहूं, जौ जवानी में जुल्फी हिलावे..”जीयरा कचोटेला उचटेला मनवा..एवं “मन बिक जईहें, ईमान बिक जईहें, दारू के पीयाइ में मकान बिक जईहें… सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी. इस मौके पर वीरेंद्रनाथ चौबे, डॉ सुरेशचंद्र, सूर्यप्रताप यादव, संजय जायसवाल मौजूद रहे.
बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट

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