खेल के मैदान को आवासीय पट्टा के रूप में आवंटित करने से ग्रामीणों में आक्रोश, बोले ग्राम प्रधान लेंगे न्यायालय की शरण

दूबेछपरा, बलिया. ग्राम पंचायत दया छपरा में अवस्थित बच्चों के खेल के मैदान की भूमि को कटान पीड़ितों को आवासीय पट्टा के रूप में आवंटित करने पर तहसील प्रशासन के प्रति दया छपरा के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। किंतु भारी संख्या में फोर्स की मौजूदगी व कानूनी दांवपेच के कारण वहां के ग्रामीण मौके पर पहुंचकर आवंटन का विरोध नहीं कर पाए, किंतु ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन के इस पट्टा आवंटन के कार्य को जनहित के विपरीत बताते हुए इसके विरोध मे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।

 

ग्रामीणों ने बताया कि नवीन परती के नाम से यह जमीन दया छपरा के बच्चों के लिए खेल का मैदान था, किंतु इसे बिना ग्राम प्रधान के सहमति के ग्राम प्रधान का पावर सीज कर उप जिलाधिकारी ने दूसरे गांव के कटान पीड़ितों में भूमि आवंटित किया है। जबकि नियमानुसार जमीन खरीद कर भी कटान पीड़ितों को बसाया जा सकता था। किंतु तहसील प्रशासन ने ऐसा नहीं किया और खेल के मैदान को ही आवासीय भूमि के रूप में आवंटित किया।

बच्चों के खेल के मैदान की भूमि को कटान पीड़ितों को आवासीय पट्टा के रूप में आवंटित करने पर तहसील प्रशासन के प्रति दया छपरा के लोगों में जबरदस्त आक्रोश।

पहले इस जमीन पर पॉलिटेक्निक कॉलेज बनाने का प्रस्ताव था। बाद में ग्राम न्यायालय बनाने की भी बात चली थी,किंतु यह बच्चों के खेलने का मैदान था। इसलिए राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह जमीन बची हुई थी। अब अचानक इसे आवासीय पट्टा के रूप में आवंटित कर दिए जाने से ग्रामीण भौचक्के हैं।ग्राम प्रधान हृदयानंद वर्मा, दुर्गा शंकर पांडे,पूर्व प्रधान राम जी यादव, हीरा लाल सोनी, हरेंद्र पांडे, कामेश्वर पांडे, अनिल पांडे, हरेराम पांडे आदि ने बताया कि यहां के 15 युवाओं को अकारण धारा 107, 16 में पाबंद किया गया है। जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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पूरा गांव इस खेल के मैदान को बचाने के लिए हर संभव लड़ाई लड़ेगा। उम्मीद है ग्रामीणों को न्याय मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ उप जिलाधिकारी आत्रेय मिश्र का कहना है कि ग्राम सभा की भूमि मौजूद होने पर जमीन खरीद कर बसाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए इस ग्राम सभा की भूमि पर कटान पीड़ितों को बसाया गया है। जिन कटान पीड़ितों को भूमि का पट्टा आवंटित किया गया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से अपना बसेरा हटाना पड़ेगा।नही तो बल पूर्वक हटाया जायेगा।

(बैरिया संवाददाता वीरेंद्र मिश्र की रिपोर्ट)

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