नगरा, बलिया. पूर्व विधायक व भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य राम इकबाल सिंह ने कहा कि देश में आज बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. बेरोजगारों को ठोस जिंदगी जीने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है. बेरोजगारों को उपेक्षा की दृष्टि से देख कर कूड़ेदान की तरह किनारे लगाया जा रहा. छात्र आंदोलन न होने से उच्च शिक्षित बेरोजगार डिप्रेशन का शिकार हो गया है. अधिकारी सरकार को आंकड़ा रोजगार का दिखा देते हैैं. जबकि एनजीओ में बिना रिश्वत एक भी भर्ती नहीं की जा रह है और तनख्वाह में से भी आधा ले लिया जाता है.
पूर्व विधायक राम इकबाल नगरा कस्बे में भाजपा मण्डल अध्यक्ष के आवास पर प्रेसवार्ता कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकारों ने छात्र आंदोलनों को कुचलने के लिए लिंगदोह कमेटी का जो चाबुक चलाया, उससे छात्र आंदोलन की कमर टूट गई. विश्वविद्यालयों में चुनाव नहीं हो रहा है. इसका सीधा असर हुआ कि सरकार मनमानी और नौजवानों के साथ बहुत संवेदनहीनता के साथ व्यवहार कर रही. पद निकलते है, तब तक उसपर स्टे हो जाता है. ये सब योजना के तहत किया जाता है ताकि युवाओं को जॉब नहीं दिया जा सके. उन्होंने कहा कि उससे बचे पैसे से बड़े बड़े-बड़े हाई वे बनाया जाता है. हाई वे में बड़े बड़े लोगो को कमीशन जाता है और मल्टीनेशनल कम्पनियों व विकसित देशों को संदेश देकर अपना पीठ ठोकने का अवसर मिलता है.
उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में जितने पद रिक्त हैं, उस पर सरकार लिखित परीक्षा कराकर क्यों नहीं सीधे ज्वाइन करके ट्रेनिंग दे रही है? सभी नौकरियां ठेके पर एनजीओ को दे दी गई हैं और एनजीओ मनमानी कर रहे है. जिस एनजीओ को ठेका दिया जा रहा है, वो अलग से बेरोजगारों से तीन से चार लाख रुपये ले रहे हैं और और मानदेय का आधा हिस्सा खुद रख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के ईमानदार मुख्यमंत्री को इधर भी दृष्टि दौड़ानी चाहिए. अधिकारियों के भरोसे 24 करोड़ जनता को नहीं छोड़ना चाहिए. बेरोजगारों की कमर टूट गई है और अधिकारी आंकड़ दिखा देते हैं, जबकि एक भी भर्ती बिना रिश्वत की नहीं की जा रही है. कहा कि इसमें सुधार करने की जरूरत है. सरकार के पास समय बहुत कम है लेकिन ताकत बहुत ज्यादा है. सरकार चाहे तो सुधार करके लाखों बेरोजगारों को ज्वाइन करा सकती है और मानदेय का काम समाप्त कर सीधे स्थाई भर्ती करनी चाहिए. इसके अलावा किसानों की समस्याओं और जनपद की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी पूर्व विधायक जमकर बरसे.
(नगरा से संतोष द्विवेदी की रिपोर्ट)