बलिया के विक्रमादित्य अंतिम सांस तक बने रहे दबे-कुचलों की आवाज

  • विकास और जनहित के लिए समर्पित रहा पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य पांडेय का जीवन
  • कृष्ण कांत पाठक

बलिया : गंवई राजनीति से सफर शुरू कर प्रदेश की सियासत में वर्षों तक हनक रखने वाले समाजवादी नेता विक्रमादित्य पांडे दिल से आजीवन फकीर ही रहे.

वे सामंतवाद के खिलाफ शंखनाद कर दबे-कुचलों की आवाज बनकर उभरे. उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक अपनी इस पहचान को बरकरार रखा. उनसे ज्यादा तो उनके काम ही बोलते थे.

उनके प्रयास से जिले में शुरू की गयी दर्जनभर विकास परियोजनाएं आज भी अधूरी पड़ी हुई है. सत्ता में रहे या सत्ता से बाहर, अपनी सकारात्मक सोच की वजह से हमेशा दलीय बंधनों से मुक्त सबके चहेते और आदर्श बने रहे.

सादा जीवन उच्च विचार को परिभाषित करने वाले प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य पांडे बेलहरी विकासखंड के पिछड़े गांव वसुधरपाह में जगन्नाथ पांडे और समरातो देवी के पुत्र के रूप में 1 जुलाई 1935 को पैदा हुए थे. इनकी पढ़ाई गांव से शुरू हुई और गोरखपुर से ऑनर्स डिग्री हासिल की.

किसान के पुत्र ने सामंती ताकतों के खिलाफ आवाज उठाकर अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की. गांव के प्रधान हुए और बेलहरी ब्लॉक प्रमुख के रूप में लगातार तीन बार निर्वाचित हुए. मिलनसार स्वभाव के चलते बलिया नगर सीट से लगातार तीन बार प्रदेश के निचले सदन में गरीबों और दबे कुचले लोगों की आवाज बने रहे.

प्रदेश सरकार में कैबिनेट विकास मंत्रालय के मुखिया रहे और अंतिम समय में उच्च सदन अर्थात विधान परिषद के सदस्य रहे. ईमानदारी वफादारी ही उनकी अपनी पहचान थी. जीवन में कभी पैसे को महत्व नहीं दिए.

उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्रामीण इलाकों में पानी टंकी, सीवर योजना और शिवरामपुर गंगा घाट पर पीपा का पुल बनवाए. इसके अलावा शहर में स्पोर्ट्स स्टेडियम, दुबहर में विद्युत सब-स्टेशन, बसंतपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला मुख्यालय पर आयुर्वेदिक चिकित्सालय को रूप दिया.

वहीं, नगवा में शहीद मंगल पांडे स्मारक और उसमें अष्टधातु की प्रतिमा की स्थापना, भृगु मंदिर का जीर्णोद्धार तथा शोध संस्थान की स्थापना, राजकीय बालिका इंटर कालेज बसरिकापुर तथा राजकीय महिला महाविद्यालय नगवा की स्थापना में उनका योगदान सदैव याद किया जाएगा.

आखिर काल की घड़ी 14 जनवरी 2007 को आयी जिसने एक रहनुमा को हमेशा के लिए सबसे दूर कर दिया. उनकी याद में 14 जनवरी को नगवा, कदम चौराहा, टाउन हॉल आदि विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाती हैं.

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