
सुखपुरा, बलिया. श्री यतीनाथ मंदिर परिसर में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का समापन सोमवार की सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन के साथ हुआ.
कथा के आखिरी दिन रविवार के देर शाम कथा प्रसंग में भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग सुन भक्त खुशी से झूम उठे. भक्तों के जय श्रीराम के गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया. स्वामी राधारंग जी महाराज ने कथा का विस्तार देते हुए कहा कि भगवान श्रीराम धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान है. वनवास के अवसर धैर्य का जैसा अपूर्व प्रदर्शन श्रीराम ने किया वैसा अत्यंत दुर्लभ है. जिस परिस्थिति में स्वयं महाराज दशरथ अधीर हैं,राज परिवार अधीर हैं,मंत्री सुमंत अधीर हैं,अयोध्या की प्रजा अधीर हैं, उस स्थिति में भी श्रीराम “धीर”हैं.
भगवान श्रीराम क्षमा करने भी संकोच नहीं करते. भरत अपनी जननी कैकेई को क्षमा नहीं कर सके उसे श्रीराम बड़े ही सहजता और सरलता से क्षमा कर देते हैं. भगवान राम के यहीं गुण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बना देता.
भगवान राम का जीवन हमें गुरु, माता, पिता, भाई, पत्नी, पुत्र के साथ कैसे रहना है इसकी सीख देता है. मानव श्रीराम का चरित्र अपने जीवन में आत्मसात कर लें और उस पर चलने का प्रयास करें निश्चित रुप से वह महामानव बनेगा और समाज उसको आदर देगा,उसकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी.
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इस अवसर पर आयोजकों ने दो दर्जन से अधिक लोगों को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।पूर्व प्रमुख अनिल सिंह,विजय शंकर सिंह,गणेश प्रसाद,सर्वदेव सिंह,उमेश सिंह,डॉ सतीश सिंह,आलोक,राहुल,अजय आदि मौजूद रहे. संचालन रमाशंकर यादव ने किया.
सोमवार की सुबह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन के साथ कथा का समापन हुआ. हवन में आयोजक मंडल के तरफ से विशाल सिंह,अखिलेश सिंह, बसंत सिंह,रमाकांत सिंह,परमात्मा सिंह,अश्वनी सिंह,गुड्डन सिंह आदि शामिल रहे जबकि विद्वान ब्राह्मणों यथा राकेश पांडेय,जीऊत पांडेय,पिंटू पांडेय ने विधि विधान के साथ हवन कराया.
(सुखपुरा संवाददाता पंकज कुमार सिंह की रिपोर्ट)