प्रदेश में पंचायत चुनावों के लिए सभी सियासी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं, गांवों में उनके दौरे बढ़ गए हैं, इस बीच एक दिलचस्प खबर निकल कर सामने आई है. पिछले कुछ वक्त में शहरी निकायों की सीमा में हुए विस्तार या नए शहरी निकायों के गठन से इस बार 4 जिलों को छोड़ कर बाकी सभी जिलों में ग्राम प्रधानों की संख्या वर्ष 2015 के मुकाबले कम हो जाएगी.
पंचायतीराज विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार के पंचायत चुनावों में गाजीपुर में 1,238 ग्राम प्रधान हो जाएंगे जबकि पिछली बार यह संख्या 1,237 ही थी. इसी तरह से पिछली बार गोंडा में 1054 प्रधान थे, जबकि इस बार 1,214 ग्राम प्रधान चुने जाएंगे. इसी तरह से मुरादाबाद में पिछले चुनाव 588 प्रधान चुने गए थे, जबकि इस बार 643 प्रधान चुने जाएंगे. ऐसे ही संभल में भी संख्या 556 से बढ़कर 670 हो जाएगी.
गाजीपुर, गोंडा, मुरादाबाद और संभल के अलावा बाकी के 71 जिलों में ग्राम प्रधानों की संख्या पिछले चुनाव जितनी ही है या फिर कम हो गई है. ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जिनमें संख्या कम हुई है. इतना ही नहीं, पंचायतों में वार्डों की संख्या में 12,745 की कमी आएगी जबकि क्षेत्र पंचायतों के वॉर्ड में 2,046 की कमी आएगी. जिला पंचायत के वार्ड भी 3,120 से घटकर 3,051 हो गए हैं.
ग्राम पंचायतों की संख्या में कमी का असर निकाय कोटे की एमएलसी सीटों पर भी पड़ेगा. ग्रामीण इलाकों के शहरी में शामिल होने का ज्यादातर काम 2017 के शहरी निकायों के चुनाव के बाद हुआ है. ऐसे में जब अगले साल एमएलसी के लिए 36 सीटों पर चुनाव होंगे तो वोटरों की संख्या पहले से कम होगी.