जिला पूर्ति कार्यालय, जिला अस्पताल, क्रयकेन्द्र सब जगह गड़बड़ झाला
बलिया। राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी ने शनिवार को जिला पूर्ति कार्यालय का औचक निरीक्षण किया. पूर्ति कार्यालय में न तो डीएसओ थे और न ही क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी. दोनों अधिकारी बिना किसी सक्षम अधिकारी को बताए गायब थे. मंत्री ने मौके से ही खाद्य एवं रसद आयुक्त से बात कर स्थिति से अवगत कराया और कार्रवाई की जरूरत बताई. निरीक्षण के दौरान वे पूरे आक्रामक रूप में दिखे. सभी कर्मियों को चेताया कि अपने दायित्व के प्रति सचेत रहें, या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेकर घर बैठें. गरीबों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के क्रियान्वयन में घालमेल करने वाले की जगह जेल होगी. उन्होंने लिपिक बच्चा बाबू की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए यहां से हटाने की कार्यवाही करने का निर्देश दिया.
शनिवार को सीडीओ व एडीएम के साथ मंत्री अचानक जिला पूर्ति कार्यालय पर जा धमके. इससे वहां कर्मियों में हड़कम्प मच गया. मंत्री ने जाते ही उपस्थिति पंजिका की जांच की. पाया कि डीएसओ, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी, वाहन चालक गायब हैं. डीएसओ को वाराणसी जाना बताया गया. मंत्री ने जब वाहन व ड्राईवर को बुलाया तो न तो वाहन चालक ही उपस्थित हुए और न ही वाहन. सरकारी वाहन से बनारस जाने की आशंका पर मंत्री ने कहा कि सरकारी वाहन सरकारी कामकाज के लिए है न कि वाराणसी जाने के लिए. उन्होंने प्रभारी जिलाधिकारी के रूप में मौजूद सीडीओ व एडीएम को निर्देश दिया कि दोनों अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए इसकी जांच करें. तत्काल खाद्य एवं रसद आयुक्त को फोन मिलाया और पूरे वाकये से अवगत कराया. मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि राशन वितरण पूरी पारदर्शी तरीके से हो. इसके लिए बकायदा कमेटी गठित की गयी है. थ्री स्तरीय चेकिंग की व्यवस्था है. इन सबके बावजूद खाद्यान्न माफिया सक्रिय हैं और बड़े स्तर पर गरीबों का निवाला बांग्लादेश तक भेज रहे हैं.
एआरओ का नहीं था हाजिरी रजिस्टर में नाम
निरीक्षण के दौरान एक बड़ी खामी मिली. जिला पूर्ति कार्यालय के हाजिरी रजिस्टर में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी दिनेश कुमार का नाम नहीं था. लेकिन कार्यालय के कर्मियों के बारे में पूछताछ में इनके बारे में पता चला. इससे यह अंदाजा लगाने में देर न लगी कि ये ज्यादातर कार्यालय से गायब ही रहते हैं. उपस्थिति पंजिका में नाम नहीं होने पर इस पर किसी का ध्यान भी नहीं जाएगा. मंत्री ने एडीएम मनोज सिंघल को इसकी भी जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया.
नहीं दे सके वितरण व्यवस्था का ब्यौरा
मंत्री उपेंद्र तिवारी ने वितरण के लिए लगाये गये सक्षम अधिकारियों के अलावा पर्यवेक्षकों आदि का विवरण मांगा. लेकिन कार्यालय सहायक वह भी नहीं दिखा पाए. थ्री स्टेज चेकिंग के सम्बंध में पूछताछ की. कुल मिलाकर वितरण के सम्बन्ध में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाने पर मंत्री ने राशन वितरण व्यवस्था पर ही सवाल खड़ा किया। कहा कि खाद्य एवं रसद विभाग की योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच रहा। राशन की कालाबाजारी विभागीय अधिकारियों को ही सवालों के घेरे में खड़ी करती है.
जिला अस्पताल की दुर्व्यवस्था पर खफा हुए मंत्री
उधर राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी ने जिला अस्पताल का भी औचक निरीक्षण किया. उन्होंने उपस्थिति पंजिका से लगायत सभी वार्ड की व्यवस्था की जांच की. इस दौरान सात कर्मी अनुपस्थित मिले. वहीं वार्ड में मरीजों के बेड पर फटी पुरानी चादर पड़ी थी. इस पर मंत्री ने सीएमएस को फटकारते हुए पूछा कि जब सरकार व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए भरपूर धन दे रही तो ऐसी दुर्व्यवस्था क्यों ? अनुपस्थित कर्मियों पर भी ठोस कार्रवाई करने को कहा.
उन्होंने परिसर में कुछ मरीजों से व्यवस्था सम्बन्धी जानकारी ली तो पता चला कि बाहर की दवा लिखी जा रही है. अल्ट्रासाउंट भी बाहर से कराने के लिए भेजा जा रहा है. उन्होंने इमरजेंसी वार्ड से लेकर नये अस्पताल भवन का पूरा भ्रमण किया. कई बेड पर फटी चादर दिखी. इस पर मंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए सीएएमएस को फटकार लगाई. उन्होंने गरीबों का आपरेशन जिला अस्पताल में ही करने को कहा. बताया कि एनेस्थिसिया के डॉक्टर की कमी थी जिसको पूरा कर लिया गया है. अब अगर छोटे मोटे आपरेशन करने के लिए किसी डॉक्टर ने इंकार किया तो उन पर कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी. बताया कि अब पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर हो जाएंगे. जिला असपताल से लेकर सीएचसी पीएचसी तक बेहतर डॉक्टर उपलब्ध होंगे.
मंत्री को क्रय केंद्र पर मिला फर्जीवाड़ा
इतना ही नहीं राज्यमंत्री उपेंद्र तिवारी ने शनिवार को धान खरीद में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा. चितबड़ागांव मण्डी में बने क्रय केंद्र अचानक पहुंचे मंत्री जब रजिस्टर की जांच की तो अजीब स्थिति देखने को मिली. जिस किसान के पास खेत नहीं थे, उनका भी धान क्रय किया जाना दिखाया गया था. यहीं नहीं, जिस उमरपुर दियारे में धान की फसल नहीं होती है, वहां की खतौनी पर सैकड़ों कुंतल धान खरीद की गयी थी. क्रय केंद्र पर रजिस्टर में अंकित करीब दो दर्जन किसानों के नम्बरों पर मंत्री ने जब फोन किया तो ये सच्चाई सामने आई. पूछताछ के दौरान अधिकांश किसानों के नम्बर फर्जी मिले. मंत्री ने अपर जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि माकेटिंग इंस्पेक्टर पर मुकदमा दर्ज कराकर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित कराएं, ताकि किसानों के साथ धोखा करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों में डर पैदा हो. उन्होंने अभियान चलाकर क्रय केंद्रों का सत्यापन कराने का निर्देश अपर जिलाधिकारी मनोज सिंघल को दिया.
मंत्री जब चितबड़ागांव मण्डी में गये तो पहले तो वहां बना क्रय केंद्र ही बंद मिला. इसका कारण जब माकेर्टिंग इंस्पेक्टर से पूछा तो वे भी बहानेबाजी करने लगे. फिर उन्होंने अभिलेख तलब कर रैंडम चेकिंग शुरू की तो गड़बड़ी मिली.
दरअसल, नरहीं निवासी परमेश्वर राय की खेती दियारे में ही होती है. जहां धान की फसल काफी कम होती है. उनके सौ कुंतल से अधिक धान बेचा जाना दिखाया गया था. किसान का नम्बर लगाया तो वह नम्बर चौरा में गया. इसी प्रकार एक अन्य नम्बर पर फोन किया तो किसान ने बताया कि मेरा तो खेत ही नहीं है. इस पर मंत्री ने कहा कि क्रय केंद्रों का सत्यापन कराया जाए और जो भी दोषी मिले उन पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई हो.