सियासत का सौंदर्य सजाने वाले ही गंगा की सूरत को खंडित करेंगे, यह कभी सोचा नहीं गया-रमाशंकर

गंगा मुक्ति चेतना यात्रा पहुंचा बैरिया

अविरल गंगा ही निर्मल गंगा को प्रमाणित करेंगी

बैरिया(बलिया)। पर्यावरण की प्रमुख संरक्षिका गंगा का धराधाम से पलायन हुआ तो प्रकृति और मानव दोनों के लिए खतरा होगा. सियासत का सौंदर्य सजाने वाले गंगा की सूरत को खंडित करेंगे, यह कभी सोचा नहीं गया होगा. गंगा की वर्तमान दुर्दशा से महान भागीरथ की आत्मा को कष्ट हो रहा होगा.
उक्त बातें गंगा मुक्ति चेतना यात्रा के दौरान बैरिया में मैनेजर सिंह स्मारक पर स्व. बाबू मैनेजर सिंह को माल्यार्पण कर उपस्थित लोगों से गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने कही.

बोले बुलंदशहर से बलिया तक गंगा की सिसकी बढ़ी है. गंगा प्रदूषण का इतिहास 191 वर्ष पुराना है. जब मुगलों द्वारा बनाया गया शाही सुरंग शाही नाले में तब्दील हो गया. जिसमें शहर का कचरा नाले में जाने लगा. ब्रिटिश हुकूमत भारत के सांस्कृतिक थाती गंगा को कुचक्र कर प्रदूषित करने का काम किया. 1972 में पहली बार गंगा प्रदूषण की बात सामने आई.

जब विश्वस्तरीय मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने केंद्र को गंगा प्रदूषण का रिपोर्ट सौंपा. गंगा स्वच्छता को लेकर सरकार की वर्तमान केंद्रीय कवायद व योजनाएं कटघरे में हैं.

बताए कि अविरल गंगा ही निर्मल गंगा को प्रमाणित करेंगी. इस अवसर पर त्रिदंडी स्वामी के शिष्य प्रपन्नाचार्य, छात्रनेता गणेश यादव, धीरज पाण्डेय, बबलू पाण्डेय आदि लोग उपस्थित रहे.

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