बलिया के कुम्हिया गांव (भरखरा) निवासी अनारी बाबू केदारनाथ प्रसाद व जगेश्वरी देवी के सुपुत्र हैं. अनारी ने सात पुस्तकें लिखी हैं. इनका भोजपुरी गीत संग्रह जिनगी के थाती, आसरा के दियना, सितुही में मोती, गुलरी के फूल हैं. गजल संग्रह में अंखीयन के लोर है. धरम के धजा महाकाव्य, राजा यह सत्य प्रेमी हरीश्चन्द्र की कथा है, जिसे उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने प्रकाशित करवाया है.