पंडित अरविंद शास्त्री ने कहा कि भगवान के कार्य के लिए जो जीव अपने तन का त्याग करें वह परम बड़भागी होता है. जैसे कि प्रभु श्रीराम के कार्य के लिए जटायु ने अपने तन का त्याग कर दिया था. मानस मर्मज्ञ पंडित अरविंद द्विवेदी ने कहा कि “हनुमान सब नहीं बड़भागी, नहीं कोऊ राम चरण अनुरागी” हनुमान जी महाराज से बड़भागी कोई नहीं है.
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भारतेन्दु सत्संग मंच मेला ददरी में चतुर्थ दिवसीय सत्संग के तीसरे दिन पं. विजय नारायण शरण जी ने कहा कि घोर कलियुग में माया रूपी चक्की में पीसने से बचने के लिए एक मात्र कील रूपी हरि के शरण में जाना पड़ेगा, जैसे की कबीर बाबा का दोहा चलती चक्की देखकर दिया कबिरा रोय, दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय, वहीं पर कमाल जी का दोहा मिलता है चलती चक्की देखकर हंसा कमाल उठाय.
जिस प्रकार हम मुंह से भोजन व नाक से हवा ग्रहण कर ऊर्जा प्राप्त करते हैं. उसी तरह कुंड में हवन जलाने से प्रकृति को ऊर्जा मिलती है, जिससे वह ठीक तरह से समय से प्रत्येक ग्रह नक्षत्रादि को हमें प्रदान कर संबल दे. यह विचार है वनखंडी नाथ मठ सेवा समिति डूंहा के अध्यक्ष स्वामी ईश्वर दास ब्रह्मचारी का वह परम धाम परिसर में चल रहे महायज्ञ व विशाल गुरु पूजा कार्यक्रम के तहत भक्तों के बीच अपने उद्गार प्रकट कर रहे थे.