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बहादुरपुर स्थित सेवायोजन कार्यालय पर 07 दिसम्बर दिन बुधवार को रोजगार मेला का आयोजन होगा. सेवायोजन अधिकारी एके पाण्डेय ने बताया कि रोजगार मेले में शिवशक्ति ग्रुप की विनूथना फर्टिलाइजर कम्पनी हैदराबाद साक्षात्कार के माध्यम से सोशल रिप्रजेन्टेटिव पद के लिए चयन किया जाएगा. बेरोजगार अपने शैक्षिक अभिलेखों के साथ आकर मेले का लाभ उठावें.
संत सुदिष्ट बाबा के धनुष यज्ञ मेले में पहले दिन लगने वाले परंपरागत राजनीतिक शिविरों में इस बार समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी का शिविर नहीं लगा. वैसे तो यहां हर साल मेले में राजनीतिक शिविर लगाए जाते हैं, लेकिन चुनावी वर्ष में यह शिविर खास होता है. सिर्फ कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी ने अपना अपने शिविर लगाए.
पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार के ग्रामीण अंचलों में चर्चित, सुविख्यात संत सुदिष्ट बाबा के आश्रम पर प्रत्येक वर्ष लगनेवाला धनुष यज्ञ मेला रविवार से प्रारंभ हो रहा है. लगभग तीन सप्ताह तक चलने वाले इस मेले के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. रानीगंज बाजार से पूरब कोटवा गांव के किनारे संत सुदिष्ट बाबा के आश्रम सुदिष्टपुरी मे प्रत्येक वर्ष अगहन माह के शुक्ल पंचमी तिथि से धनुष यज्ञ मेला प्रारंभ होता है.
ऐतिहासिक ददरी मेला के भारतेंदु कला मंच पर बलिया-पौराणिक काल से 1947 तक, सह ददरी मेला विशेषांक का विमोचन जिलाधिकारी गोविन्द राजू एनएस ने विशिष्ट अतिथि सपा जिलाध्यक्ष संग्राम सिंह यादव, अपर जिलाधिकारी मनोज कुमार सिंघल, नगर मजिस्ट्रेट आरजी सिंह, अध्यक्ष प्रतिनिधि लक्ष्मण गुप्ता, शायर परवेज रोशन, अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार मिश्र, पुस्तक के संपादक मधुसूदन सिंह की उपस्थिति में किया.
बुधवार को बलिया- पौराणिक काल से 1947 तक (सह ददरी विशेषांक) नामक पुस्तक का विमोचन होने जा रहा है. इस पुस्तक के संपादक मधुसूदन सिंह है. बुधवार को ही इस मंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी होने जा रहा है, जिसके मुख्य अतिथि जिलाधिकारी बलिया गोविन्द राजू एनएस और विशिष्ट अतिथि जिलाध्यक्ष सपा संग्राम सिंह यादव है.
रानीगंज बाजार से पूरब सुदिष्टपुरी मे सन्त सुदिष्ट बाबा आश्रम परिसर में लगने वाले धनुष यज्ञ मेला के प्रथम चरण में लगने वाला अश्व मेला शनिवार को अपने पूरे शबाब पर रहा. मेले मे खरीद बिक्री का माहौल अच्छा होने से अश्व पालक व व्यापारी दोनों प्रसन्न नजर आये. मेले में उम्दा नस्ल के घोड़ा घोड़ी, कृषि उपयोग और वर्किंग प्रजाति के खच्चर व गधे भी काफी तादाद में जुटे हैं.
भारतेन्दु सत्संग मंच मेला ददरी में चतुर्थ दिवसीय सत्संग के तीसरे दिन पं. विजय नारायण शरण जी ने कहा कि घोर कलियुग में माया रूपी चक्की में पीसने से बचने के लिए एक मात्र कील रूपी हरि के शरण में जाना पड़ेगा, जैसे की कबीर बाबा का दोहा चलती चक्की देखकर दिया कबिरा रोय, दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय, वहीं पर कमाल जी का दोहा मिलता है चलती चक्की देखकर हंसा कमाल उठाय.
बाबा भोले भंडारी की नगरी ब्रह्मपुर की एक अलग ही विशिष्टता है.. यहां पर हरेक जगह से लोग आते है और बाबा की पूजा अर्चना करते है. महाशिव रात्रि के समय का नज़ारा अद्भुत होता है. ये मंदिर बक्सर, आरा, बलिया, छपरा और सासाराम मे बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. वैसे तो बिहार और उत्तर प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पर दर्शन करने आते हैं.
इसे सनातन धर्म की आभा कहें या बक्सर जिला वासियों का संस्कृति से लगाव. बिहार का बक्सर जिला यहां एक दिन बहुत ही खास होता है. इस तिथि को बीस लाख से अधिक लोग एक ही साथ भोजन करते हैं. अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को लोग पंचकोश के नाम से जानते हैं. पांच दिनों का मेला जिस दिन समाप्त होता है, उस दिन हर घर में एक ही भोजन बनता है.