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तपस्वी को एक दिन सपने में भोलेनाथ ने( सीता अवनी) छितौनी में होने का संकेत दिया. और कहा कि इतनी दूर मत जाओ मैं यही हुं , फिर आस पास के ग्रामीणों के सहयोग से उक्त स्थान पर खुदाई की गई . खुदाई के उपरांत छितौनी में ही इस शिवलिंग का विग्रह प्राप्त हुआ. इस शिव लिंग को ऊपर लाने का बहुत प्रयास किया गया. जब जब शिवलिग को ऊपर लाने का प्रयास होता तब तब शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता. तभी भगवान भोलेनाथ महात्मा के रूप में प्रकट होकर गाँव के लोगों को दर्शन देकर इसी तरह शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की सलाह दी और इस शिवलिंग को छितेश्वर नाथ महादेव का नाम देकर अंतर्ध्यान हो गए.
बलिया – बांसडीह मार्ग स्थित बड़सरी गांव से करीब एक किमी पश्चिम सुरहताल के किनारे बाबा अवनीनाथ महादेव मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है. जहां पहुंचने पर पर्यावरण से सुसज्जित स्थल पर एक अलग अनुभूति तो होती है. बुजुर्गों के अनुसार उक्त मंदिर की ऐसी महत्ता है कि जो अवनी नाथ महादेव मंदिर में जाकर अपनी विनती सुनाता है उसकी मन्नत पूर्ण हो जाती है.