क्षेत्र में हो रहे चातुर्मास यज्ञ के दौरान शुक्रवार की देर शाम श्रीमद् भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए संत लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि नैमिषारण्य की धरती पर सूत जी महाराज से शौनक ऋषि ने पूछा कि कलयुग में मानव का उद्धार कैसे होगा ,जिस पर कथा सुनाते हुए सूत जी महाराज ने कहा कि हरिनाम संकीर्तन और सत्संग से ही मानव का उद्धार कलयुग में होगा. सूत जी महाराज ने ऋषियों को भागवत जी के महिमा को सुनाते हुए कहा कि भागवत सभी वेद उपनिषद एवं धार्मिक ग्रंथों का सार है.
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दूसरों के निमित्त किया गया कार्य विशेष फलदाई होता है. मनुष्य को अपनी संस्कृति और संस्कार के अनुसार ही जीवन जीना चाहिए. उक्त बातें महान मनीषी संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परम शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने भृगु क्षेत्र में जनेश्वर मिश्र सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत के दौरान बुधवार की देर शाम प्रवचन में कही.
वैदिक सनातन धर्म के बारे में चर्चा करते हुए जीयर स्वामी ने कि सनातन धर्म समस्त प्राणियों के साथ – साथ प्रकृति का भी सम्मान करना सिखाता है. कहा कि ईश्वर की आराधना करने से संस्कार का प्रादुर्भाव होता है. उन्होंने उपस्थित लोगों को बताया कि जो व्यक्ति दान और दया की भावना रखता है वही समाज में आदर्श स्थापित करता है
यज्ञ समिति के सदस्यों के साथ स्वामी जी महाराज ने विधिवत यज्ञ स्थल का अवलोकन किया. उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कलयुग में हरि नाम संकीर्तन मोक्ष प्राप्ति का मुख्य आधार है.
गौरतलब है कि आगामी जून माह के 16 तारीख को लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज का चातुर्मास व्रत प्रारंभ हो जाएगा. अक्टूबर में सात दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा.