LIC के निजीकरण का कदम जनहित में नहीं , प्रयास अनुचित: सीबी राय

  • बीमा कर्मियों के संगठनों ने की एक घंटे की हड़ताल

बलिया : विगत पहली फरवरी को संसद में प्रस्तुत बजट में सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम के विनिवेश का फैसला किया है. सरकार अब इसके निजीकरण का रास्ता खोल रही है.

साथ ही, सरकार ने आयकर में अब मिल रही बीमा प्रीमियम की छूट को भी हटाने का फैसला किया है. इस फैसले से एक तरफ बीमा क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, वहीं दूसरी तरफ घरेलू बचत भी हतोत्साहित होगी.

 

 

इन प्रस्तावित कानूनों के विरोध में देश भर से आवाजें उठ रही हैं. सबसे मुखर आवाज बीमाकर्मियों और पॉलिसीधारकों की हैं. इसी क्रम में बीमा कर्मियों के संगठनों ने 4 फरवरी को एक घंटे की बहिर्गमन हड़ताल की.

इस हड़ताल को अभिकर्ता संगठन ने भी अपना समर्थन दिया था. इस दौरान बीमा कार्यालय के दरवाजे पर नारेबाजी हुई और धरना-प्रदर्शन किया गया.

धरने में विकास अधिकारी संगठन के नेता सीबी राय ने कहा कि जिस LIC ने अपने 65 वर्ष के इतिहास में सरकार को हमेशा मदद की है, जिसने जनता के हितों का हमेशा ख्याल रखा है, उसके निजीकरण का प्रयास पूर्णतया अनुचित है.

 

 

कर्मचारी संगठन के नेता दिनेश सिंह ने कहा कि निगम ने अपनी पूंजी का अधिकतर हिस्सा सरकार की विभिन्न योजनाओं में निवेशित किया है. उसने जनता के पैसे को सुरक्षित रखा और सरकार को देकर राष्ट्र के विकास में योगदान भी सुनिश्चित किया है.

सभा के अंत में सभी कर्मचारियों और अभिकर्ताओं ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सरकार से इस कदम को वापस लेने की मांग की गयी.

 

 

धरना प्रदर्शन में आशीष सिंह, बलराम गौड़, अजय, मनीष उपाध्याय, हीराराम गुप्ता, प्रशांत पाण्डेय, पवन केशरी, अनामिका उपाध्याय, ज्ञान्ती देवी, सुजाता श्रीवास्तव, कुबेर उपाध्याय, शिवप्रसाद शुक्ला, इन्द्रदेव सिंह, पवन तिवारी, अजय श्रीवास्तव, अजय सिंह, अजय तिवारी, अजीत प्रसाद, सुनील सिंह, सुदामा अहीर, हरिशंकर उपाध्याय, शिवकुमार सिंह, रामजी तिवारी, कुशकुमार गिरी, महमूद आलम, सुरेश चंद्र, अशोक गुप्ता, अनूप श्रीवास्तव, रामप्रवेश प्रसाद, सुरेंद्र यादव, हरीश कुमार, अर्पित टोप्पो, ए आर खान, उमाशंकर पांडेय, रामविलास राम और अशोक कुमार पाठक आदि ने भाग लिया.

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