

बैरिया (बलिया)। पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में श्री हरिनाम संकीर्तन की अलख जगाने वाले स्वामी खपड़िया बाबा के कृपापात्र स्वामी हरिहरा नन्दजी महाराज को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा उनकी लिखी पुस्तक “श्रृंगार सुरा से असस्पृष्ट रहस्य राशि रासरस” को शास्त्र पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है.

प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से वर्ष 2016 के पुरस्कारों की घोषणा की गई है. सम्मानित किए जाने वाले 47 लोगों में स्वामीजी का नाम भी शामिल है. इस खबर से इलाके में प्रसन्नता का माहौल है. इसके पूर्व में भी स्वामी हरिहरा नन्दजी महाराज को दिल्ली संस्कृत अकादमी, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा “महर्षि वेद व्यास सम्मान” से सम्मानित किया जा चुका है. उल्लेखनीय है कि अपने लगभग 16 वर्ष की अवस्था में स्वामी हरिहरा नन्दजी महाराज द्वाबा में गंगा किनारे श्रीपालपुर में स्थित तत्कालीन महान सन्त खपड़िया बाबा के यहां आए थे. और उनकी सेवा में रत हो गए. साथ ही पठन-पाठन, स्वाध्याय व सेवा इनकी दिनचर्या रही.

खपड़िया बाबा के निर्वाण के बाद हरिहारा नन्द जी महाराज ने गुरु द्वारा शुरू किए गए श्रीभगवन्नाम संकीर्तन को आगे बढ़ाये. गांवों के लोगों को अपने जीवन में श्री भगवन्नाम संकीर्तन ( हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।) का व्रत लेने का अभियान चलाया. स्वामी जी ने यह मार्ग लोगों के लिये आसान दर आसान बनाया. साथ ही कहीं किसी के घर, गांव, मन्दिर जाने, वहां भोजन करने, प्रवचन करने की फीस भी निर्धारित कर दी. फीस में कोई द्रव्य नहीं, बल्कि संकीर्तन की संख्या निर्धारित की. जिसका असर रहा कि वर्तमान समय में कई ऐसे स्थान है, जहां वर्षों से संकीर्तन चल रहा है. इस अभियान के साथ ही बाबा का लेखन कार्य भी जारी है. स्वामी हरिहरा नन्द जी महाराज ने 40 से अधिक पुस्तके लिखी हैं. प्रदेश सरकार द्वारा पुरस्कार दिए जाने की घोषणा से इलाके में हर्ष है.
