बलिया. जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के सभागार में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस द्वारा आयोजित सात दिवसीय सेवारत शिक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला के द्वितीय दिवस जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में ‘भारतीय भाषा के संवर्द्धन अर्थात् प्रमोशन ऑफ इंडियन लैंग्वेज’ पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के फाउंडेशन पिलर्स अर्थात एक्सेस (सबकी पहुंच), समता, गुणवत्ता, अफोर्डेबिलिटी (सस्ती व सुलभ शिक्षा), अकाउंटेबिलिटी तथा हर स्तम्भ पर विस्तार से चर्चा की.
प्रोफेसर पाण्डेय ने कहा कि भारत में वह सब कुछ है जिसकी अन्य देश अपेक्षा करते हैं. भारत का शाब्दिक अर्थ ही है स्वयं ही प्रकाश की ओर बढ़ने वाला. उन्होंने मैकाले की शिक्षा व्यवस्था से लेकर आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के स्वरूप को स्पष्ट किया. प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है सबकी अपनी मौलिकता है जिसको पहचानना, विकसित करना और समाज में उसके अनुरूप वातावरण देना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य है. हमे अपने जड़ को, अपनी संस्कृति को, अपने परिवेश को कभी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि यही वैयक्तिक, सामाजिक, एवं राष्ट्रीय विकास का आधार भी है और जिसका समर्थन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 करती है. शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था का हृदय बताते हुए प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि शिक्षक भिज्ञ रहे अथवा अनभिज्ञ वह कई छात्र-छात्राओं का रोल मॉडल होता है.
प्रोफेसर कल्पलता पाण्डेय ने बताया कि मौलिक विचार मातृ भाषा में ही अधिकतर आते हैं और संपर्क भाषा, क्षेत्रीय भाषा आदि शिक्षा के क्षेत्र में भी सर्वोत्तम आगत को प्रोत्साहन देते हैं. भाषा अधिगम के साथ ही संस्कृति के हस्तांतरण का प्रमुख माध्यम है जो छात्र को शिक्षा व संस्कृति से जोड़ भी सकती है व विमुख भी कर सकती है. इसी को ध्यान में रखते हुए स्थानीय भाषा/ घरेलू भाषा को आदि को शिक्षा के माध्यम के रूप में, अर्थात् भारतीय भाषाओ के संवर्द्धन एवं विकास को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रमुख स्थान दिया गया है. संस्कृत को भी मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयत्न किया गया है. लेकिन यह ध्यान रखा गया है कि इसे छात्रों पर थोपा नहीं जाएगा. अंग्रेजी सहित अन्य विदेशी भाषाओं को एक विषय के रूप में सम्मिलित करने का प्रावधान है.
द्वितीय एवं तृतीय सत्र में श्री मुरली मनोहर टाउन पी जी कॉलेज, बलिया से जंतु विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ. अनिल कुमार जी ने कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए ‘प्रिपरेशन एंड प्रिजेन्टेशन ऑफ गूगल फॉर्म, गूगल स्लाइड, एंड जनरेशन ऑफ ऑनलाइन ई-सर्टिफिकेट’ शीर्षक पर गतिविधि आधारित व्याख्यान दिया.
उन्होंने गूगल स्लाइड बनाते समय फ़ॉन्ट के आकार, इस्पेसिंग, हेडिंग साइज आदि के उपयुक्त चयन पर भी ध्यान देने को कहा. साथ ही साथ उन्होंने क्रिएटिव कॉमन लाइसेन्स,क्रिएटिव कॉमन इमेज सर्च करना एवं स्लाइड से अटैच करना आदि गतिविधि के माध्यम से सिखाया। द्वितीय सत्र संक्षेप में कहें तो अभ्यास द्वारा सीखने पर आधारित रहा. जिसमें सभी प्रतिभागियों ने सक्रियता के साथ प्रतिभाग भी किया.
कार्यशाला का आयोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के समन्वयक डॉ. रमा कांत सिंह ने किया. कार्यक्रम संचालन डॉ. राघवेन्द्र पांडेय ने किया. कार्यक्रम में विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापकों में डॉ0 फिरोज़ खान, डिफेंस एंड स्ट्रेटजिक स्टडीज़, महाविद्यालय बांसडीह, डॉ0 भाग्यवंती चौहान, किसान पी जी कॉलेज, बलिया आदि के साथ ही विश्वविद्यालय परिसर से रंजीत कुमार पांडेय,डॉ0 शकुंतला श्रीवास्तव, सुश्री नीति कुशवाहा, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.
(बलिया से केके पाठक की रिपोर्ट)