बहुद्देश्यीय सभागार में रामायण काॅन्क्लेव आज, संस्कृति विभाग ने आम लोगों से कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की, रामायण में भ्रातृप्रेम पर संगोष्ठी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होगा आयोजन

बलिया. ‘रामायण काॅन्क्लेव’ का आयोजन आज (बुधवार) कलेक्ट्रेट स्थिति बहुद्देश्यीय सभागार (ट्रेजरी के बगल में) में होगा.

इसमें ‘रामकथा में भ्रातृप्रेम’ संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. शंकर विभाग के अधिकारी सुभाष यादव ने आम लोगों से भी कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की है.

उन्होंने बताया है कि कार्यक्रम देखने के लिए किसी भी प्रकार की पास की आवश्यकता नहीं है. कोई भी व्यक्ति इसमें आ सकता है. जिला प्रशासन, संस्कृति, पर्यटन विभाग व अयोध्या शोध संस्थान की ओर से प्रदेश में भगवान श्रीराम से जुड़े 17 जिलों में आयोजित किए जाने वाले रामायण काॅन्क्लेव के तृतीय चरण में यह आयोजन होगा.

श्री यादव ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में गोपाल राय व बंटी वर्मा लोक गायन की प्रस्तुति देंगे. संजय कुमार एवं उनके साथी धोबिया नृत्य, ममता टण्डन व स्नेहा डे कथक नृत्य, विनम्र शुक्ल भजन व सखीचन्द राजभर व छविलाल पाल अपने साथियों संग बिरहा की प्रस्तुति देंगे. समूहन कला संस्थान की ओर से ‘सुन लो स्वर पाषाड़ शिला के (अहिल्या उद्धार)’ आधारित नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी.

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आयोजन समिति के सदस्य साहित्यकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि भगवान राम के दोबार बलिया आने के साक्ष्य मिलते हैं. पहली बार जब ब्रह्मर्षि विश्वामित्र के साथ उनके यज्ञ की रक्षा के लिये श्रीराम-लक्ष्मण अयोध्या से सिद्धाश्रम (बक्सर) जाते समय जिले के वर्तमान लखनेश्वरडीह आये थे.

श्रीमदबाल्मीकीय रामायण बालकाण्ड के 22वें अध्याय में इसका उल्लेख है कि विश्वामित्र जी ने अयोध्या के दोनों राजकुमारों को इस स्थान पर राक्षसों की मायावी शक्तियों से लड़ने के लिये बला अतिबला विद्या सिखाया था.

तेइसवें अध्याय के अनुसार कामदहन भूमि कामेश्वरधाम कारो में इन लोगों ने रात्रि विश्राम किया था। भगवान श्रीराम की इस पहली यात्रा के पड़ाव रामघाट नगहर, सुबाहू टीला सुजायत और भरौली, उजियार चिन्हित किये गये हैं.

श्री कौशिकेय ने कहा कि दूसरी बार भगवान राम, राजा राम के रुप में बलिया जिले के पचेव में आये थे. बाल्मीकीय रामायण के उत्तरकाण्ड में वर्णित कथानक के अनुसार जब भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न सहित अयोध्या की सम्पूर्ण सेना को राजसूय यज्ञ के अश्व के लिये कुश लव ने पराजित कर दिया था. तब स्वयं राजा राम को आना पड़ा था। इस विवाद का निपटारा स्वयं महर्षि बाल्मीकी ने कराया था.

श्री कौशिकेय ने कहा कि इस आयोजन से जिले में स्थित भगवान राम से जुड़े इन स्थानों को भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की श्रीराम से जुड़े स्थानों को पर्यटन स्थल के रुप विकसित करने की योजना का लाभ मिल सकता है.

(बलिया से कृष्णकांत पाठक की रिपोर्ट)

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