गीत-संगीत पक्ष पर ध्यान देने की जरूरत
संजय कुमार सिंह (कंसल्टिंग एडिटर)
सासाराम। सासाराम के करगहर थाने के डिभिया गांव से निकलकर मायानगरी मुंबई का सफर तय करने वाले बालीवुड कलाकार विजय राज आज कमोवेश हर सिनेप्रेमियों की जुबान पर छाये हुए हैं. विजय मानते हैं कि भोजपुरी में भी क्वालिटी फिल्में बनाने की जरूरत है. गीत व संगीत पक्ष को भी सशक्त व प्रभावी बनाना चाहिए.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी विजय राज ने अपने अभिनय की शुरुआत दिल्ली के थिएटर ‘सम्भव ग्रुप’ से की. फिर कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक नया ग्रुप ‘एक्ट वन‘ बनाया. इसके बैनर तले नाटक ‘ नेटुआ‘ और ‘ होली‘ का मंचन किया गया. दोनों नाटक काफी चर्चित रहे. उन दिनों मनोज वाजपेयी, पियूष मिश्रा, आशीष विद्यार्थी भी विजय राज के साथ ही थियेटर मे अभिनय कर रहे थे.
इस दौरान वर्ष 1995 के आसपास धारावाहिक ‘सी हाक्स‘ के डायरेक्टर अनुभव सिन्हा के साथ बालीवुड का सफर शुरू हुआ. इसके बाद तो फिल्मी सफर का सिलसिला जैसे ही चल पड़ा. इरफान के साथ ‘ नया दौर‘ व विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘ मकड़ी‘ के बाद विजय को साउथ की फिल्मों मे भी अच्छे व दमदार रोल मिलने लगे.
हालांकि विजय राज को भोजपुरी फिल्मों का हिस्सा न बन पाने का मलाल जरुर है. उन फिल्मों में इनको जो भूमिकायें आफर की गईं, उन्हे परिवार वालों के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता था. विजय राज के मुताबिक मौजूदा दौर मे भोजपुरी फिल्में एक खास तबके को ध्यान मे रखकर बनाई जा रही हैं. ये फिल्में एक तयशुदा फार्मुलें पर कामर्शियल मजबूरी के वजह से बनाई जा रहीं हैं. लिहाजा इनसे कम-से-कम भोजपुरी का तो भला ‘नहीं‘ हो रहा है.वह मानते हैं कि असमी और मराठी भाषाओं की तरह भोजपुरी में भी क्वालिटी सिनेमा बननी चाहिए. गीत और संगीत पक्ष पर भी गौर करने की जरूरत है.