बाढ़ पीड़ितों के साथ राजनीति, सड़क के किनारे रहने को मजबूर

नरहीं, बलिया. बाढ़ पीड़ितों के साथ भी राजनीति होती है यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी इस समय गड़हांचल में बाढ़ पीड़ितों को अपना घर छोड़ कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है लेकिन अभी तक न कोई नेता भोजन उपलब्ध करा पाया है और न जिला प्रशासन लंच पैकेट उपलब्ध करा रहा है.

 

वक्त की नजाकत देखें तो 2021 में बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराने की होड़ मची थी. यही नहीं जिला प्रशासन के तरफ से बसंतपुर में भोजन बनाने की व्यवस्था की गई. सुबह शाम बाढ़ पीड़ितों को उपलब्ध कराया जाता था लेकिन इस बार बाढ़ पीड़ितों को कोई भोजन नहीं करा रहा. वजह साफ है 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराया जा रहा था. अब बाढ़ पीड़ित पूड़ी सब्जी देने वाले को ढूंढ रहे हैं लेकिन कोई मिल नहीं रहा है. मजबूरी में बाढ़ पीड़ितों को भोजन भी बनाना पढ़ रहा है.जबकि पिछले साल बाढ़ पीड़ितों को भोजन बना बनाया मिल जाता था। ऊपर से मिट्टी तेल नहीं मिलने से अंधेरे में रहने को मजबूर हैं गंगा का जलस्तर भले ही स्थिर हो लेकिन इलाके में अभी इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है अब तो मवेशियों के चारे का संकट गहराने लगा है.

 

गंगा तट पर जमीन खाली नहीं होने के कारण अंतिम संस्कार करने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. विकास खण्ड सोहांव के कई विद्यालयों में पानी घुसने से पठन पाठन ठप हो गया है. बैरिया थम्हनपुरा मार्ग एवं एन एच 31 सड़क पर तेतारपुर नई बस्ती के लोग तिरपाल से गुजारा कर रहे हैं.
(नरही से विश्वंभर प्रसाद की रिपोर्ट)

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