बचपन में हम सबने सुना होगा कि झूठ बोलना पाप है, नदी किनारे सांप है. इसके बावजूद हम झूठ से परहेज़ नहीं करते क्योंकि कहीं न कहीं यह हम इंसानों के डीएनए का हिस्सा है. झूठ बोलने की प्रवृत्ति पर अब तक हुए शोध बताते हैं कि इंसानों में झूठ बोलने की प्रतिभा नई नहीं है. भाषा की उत्पत्ति के कुछ वक्त बाद ही झूठ बोलना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया. बलिया जिले में कई ऐसे देवस्थल भी है जहां झूठ बोलने से लोग भरसक बचते हैं….. आइए जानते हैं आखिर क्यों…. खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए कृपया दिए गए लिंक पर क्लिक या टैप करें.
बैरिया के गांव तिवारी के मिल्की स्थित स्वामी जी का समाधि स्थलः आज भी यहां झूठ बोलने की हिम्मत कोई नहीं करता
बिल्थरारोडः डम्बर बाबा के परती स्थान पर झूठ….. ना बाबा ना….. भूसा चढ़ता है प्रसाद में
घर, ऑफिस या दोस्तों के बीच हम बात-बात पर झूठ बोलने से परहेज नहीं करते. झूठ बोलने की यह आदत धीरे-धीरे बढ़ जाती है और हम इसके आदि हो जाते हैं. झूठ बोलना धार्मिक दृष्टि से तो गलत है ही, आपकी सेहत के लिए भी नुकसानदेह भी है. एक शोध के मुताबिक, झूठ बोलने वाले लोग, सच बोलने वाले व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा बीमार होता है.
यूएसए की यूनिवर्सिटी ऑफ नोट्रेडेम के एक शोध के मुताबिक, जो लोग अधिकतर समय झूठ बोलते हैं, उनमें तनाव, चिड़चिड़ापन, गला खराब होना, थकान, सिरदर्द जैसी समस्या बनी रहती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि सच बोलने वाले लोग बीमार नहीं होते. सच बोलने में वह बेहतर महसूस करते हैं. शोध में 3000 लोगों को शामिल किया गया, शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग झूठ बोल रहे हैं, उनमें घबराहट, तनाव व चिड़चिड़ेपन की समस्या, सच वाले लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा थी. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया का शोध कहता है कि झूठ बोलने वाले लोग तनावग्रस्त रहते हैं. उनमें बीपी, शुगर जैसी समस्या भी ज्यादा होती हैं.