विपक्षी दल शुरू कर दिए बैरिया विधायक को घेरना, दिखाने लगे आइना

दुबहड़(बलिया)। विधान सभा चुनाव के बाद से ही भाजपा के बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह अपने बयानों, अधिकारियों कर्मचारियों से उलझने, थाना, सड़क से लेकर सचिवालय तक धरना पर बैठने को लेकर अबाध सुर्खियां बटोरते रहे. लेकिन अब इन पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ता घेरने की शुरुआत कर दिए हैं.

जिसकी पहल इंटक के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह ने की तो और भी नेता हमलावर हुए हैं. सुरेमनपुर में लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस ट्रेन ठहराव को लेकर धरना व चांददियर में कटान पीड़ितों के आवंटित भूमि मामले मे विनोद सिंह ने बैरिया विधानसभा के विकास के लिए विधायक को घातक बताया. अपने ही दल के परम्परागत कार्यकर्ताओं की अनदेखी, अधिकारियों कर्मचारियों से उलझने की प्रवृत्ति तथा खुद को सत्यवादी, न्यायप्रिय, भ्रष्टाचार रहित खुद से बताने, अपने मुंह मिंया मिट्ठू बनने वाला कहा. तब कांग्रेस नेता विनोद ने कहा कि इनकी इन सब प्रवृत्तियों के वजह से ही न तो लखनऊ-छपरा का ठहराव हुआ, न तो छ: माह से आवंटन के बाद भी कटान पीड़ितों के जमीन पर कब्जा मिला और सूची मे शामिल बैरिया विधान सभा की तीन ग्राम पंचायतें मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना से हट गया. लाल बालू व अंग्रेजी शराब का बैरिया हब बनने के पीछे भी आरोप जड़े. बैरिया विधान सभा क्षेत्र के विकास पर विराम लगने का आरोप भी लगाया.

उधर सपा के वरिष्ठ नेता दुबहड़ निवासी नागेंद्र सिंह टप्पू ने रविवार के दिन पत्रकारों से कहा कि बैरिया विधायक मानसिक दिवालियेपन के शिकार हो गए हैं. वह कब क्या कह जाएंगे, वह उन्हें खुद ही नहीं मालूम. उन्हें यह भी नहीं मालूम है कि एक जनप्रतिनिधि की मर्यादा क्या होती है. ऐसे ही लोगों का चुनाव कर जनता बाद में पछताने का काम करती है. कहा कि बैरिया विधायक को द्वाबा के विकास के तरफ ध्यान देने चाहिए. वह अपने मुंह से खुद को अवतार व दूसरों को भ्रष्टाचार मे लिप्त बताने में लगे हैं. जो जैसा होता है लोग कहने लगते हैं. वह आत्म मुग्धता में पूरी तरह डूब गए हैं. लेकिन द्वाबा के लोग उनकी करतूतों से बहुत कम समय मे ही पछताने पर विवश हैं. उनकी करतूतों के चलते द्वाबा में कोई अधिकारी जाने को तैयार नहीं है. द्वाबा के सारे विकास कार्य ठप पड़े हुए हैं. यहां तक कि विधायक के चलते ग्राम पंचायत के कोटेदार से लेकर के आला अधिकारी भी भयभीत रह रहे हैं. कहां कि अभी हाल ही में बन विभाग के लोगो से की गई मारपीट इसका साक्षात प्रमाण हैं. उलूल जुलूल बोलने के बजाय जनप्रतिनिधियों को क्षेत्र में विकास के कार्य करने चाहिए. क्योंकि पद से हटने के बाद यही इनकी पहचान रह जाती हैं . अगर उस विधान सभा में कहीं कुछ विकास कार्य दिखाई भी दे रहा है तो वह तो सपा सरकार की स्वीकृत योजनाएं हैं. उसे समय से पूरा कराकर लोकार्पण आदि कराने के बजाय यह लोग उसे विलम्बित करा रहे है. इन करतूतों का परिणाम अकेले इनके वजह से द्वाबा की जनता 2019 में दे देगी.

This post is sponsored by ‘Mem-Saab & Zindagi LIVE’